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    अल्मोड़ा के दन्यां में शुद्ध आबोहवा के बीच रहन-सहन कोरोना पर पड़ा भारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 29 Apr 2021 08:17 PM (IST)

    दन्या में धौलादेवी ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव आरासलपड़ विगत 14 महीनों में कोरोना मुक्त है।

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    अल्मोड़ा के दन्यां में शुद्ध आबोहवा के बीच रहन-सहन कोरोना पर पड़ा भारी

    गणेश पांडेय, दन्या : धौलादेवी ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव आरासलपड़ विगत 14 महीनों में कोरोना की चपेट से दूर ही रहा है। लॉकडाउन के दौरान गत वर्ष काफी लोग विभिन्न महानगरों से नौकरी छोड़कर गांव लौटे। 14 दिनों तक क्वारंटाइन रहकर वे घातक वायरस को मात देने में सफल रहे।

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    ढाई हजार से अधिक की आबादी वाला यह गांव शुद्ध वातावरण में स्थित है। चारों ओर चौड़ी पत्ती वाले जंगल से घिरा होने के साथ ही लोगों के मकान दूर-दूर बने हुए हैं। कृषि व पशुपालन ही यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय है। सरयू नदी का शुद्ध पानी तमाम रोगों से दूर रखता है। खाओ- पियो, मस्त रहो की जीवन शैली में रहने वाले यहां के लोग नियमों का तो पूरी तरह पालन करते हैं, मगर महामारी से बिल्कुल भयभीत नहीं हैं।

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    कोरोना को हराने का राज

    ़- चारों ओर जंगलों से घिरे गांव की बसासत का दूर-दूर होना

    - श्रोत से निकलने वाले शुद्ध पानी का सेवन

    - विषाणु को मारने में सक्षम सरयू नदी के पानी से नियमित स्नान

    - सघन वन के बीच स्थित गांव में आक्सीजन की कमी नहीं

    - अपने खेतों की फसल, सब्जियों, फलों का नियमित सेवन

    - हाड़ तोड़ मेहनत के बूते जीवन यापन करने वाले लोगों का स्वस्थ रहना

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    फोटो: 29डीएनआइपी3

    आरासलपड़ गांव के लोग काफी मेहनती हैं। बाजार की वस्तुओं का बहुत कम प्रयोग करते हैं। मेहनतकश लोगों की जीवन शैली ही उन्हें निरोग रखती रही है।

    -दयाकिशन पांडे प्रधान

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    फोटो: 29डीएनआइपी4

    विगत वर्ष कई दर्जन प्रवासी भाई विभिन्न नगरों गांव में आए लेकिन एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ। ढाई हजार से अधिक की आबादी होने के बावजूद ग्रामीण स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

    - रमेश भट्ट सरपंच

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    फोटो: 29डीएनआइपी5

    गांव में घी, दूध दही, मट्ठा आदि की कमी नहीं रहती है। लोग पारंपरिक अनाज और दालों का सेवन करते हैं। लोगों की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहने से वायरस निष्क्रिय हो जाता है।

    - हरीश जोशी, अध्यक्ष संघर्ष समिति

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    फोटो: 29डीएनआइपी6

    मेरि उमर 78 साल छु। आजि तक मीन क्वे लै दवाई नी खै। हम लोग घरेलू उपचार सब जांणनू। सर्दी जुकाम जसै कोराना छू। चिंताक के बात न्हां।

    - देवी दत्त पांडे बुजुर्ग