Move to Jagran APP

रिवर ट्रेनिंग में सियासी पहुंच वालों की धमक पर विवाद

जनपद में रिवर ट्रेनिंग (नदी क्षेत्रो में अत्यधिक जमा उपखनिज का निस्तारण पर सवाल उठने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 08:34 AM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 08:34 AM (IST)
रिवर ट्रेनिंग में सियासी पहुंच वालों की धमक पर विवाद
रिवर ट्रेनिंग में सियासी पहुंच वालों की धमक पर विवाद

जागरण टीम, अल्मोड़ा/ रानीखेत : जनपद में रिवर ट्रेनिंग (नदी क्षेत्रो में अत्यधिक जमा उपखनिज का निस्तारण) पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि कुछ खास रसूख व सियासी पहुंच वालों को ही टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने दिया गया। उधर रिवर ट्रेनिंग के जरिये स्वरोजगार तलाश रहे एक पक्ष ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट के आदेश पर संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत ने अपना पक्ष रख लिया है। सूत्रों के अनुसार अग्रिम आदेशों के बाद ही खैरना स्थित कोसी क्षेत्र से रिवर ट्रेनिंग पर कदम बढ़ाए जाएंगे।

loksabha election banner

दरअसल, कुछ दिन पूर्व रानीखेत तहसील मुख्यालय में रिवर ट्रेनिंग के लिए टेंडर मंगाए गए थे। सूत्रों की मानें तो इसकी सूचना स्थानीय स्तर पर ही प्रकाशित करा दी गई। इसमें महज पांच लोग ही टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सके। इनमें कुछ राजनीतिक पहुंच वाले रहे। एक के अभिलेख पूरे न होने का हवाला दे उसे निरस्त कर दिया गया। इसे कोसी क्षेत्र के स्थानीय लोगों की उपेक्षा व सत्तापक्ष के दबाव में टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगने लगे हैं। यह भी तर्क है कि टेंडर प्रक्रिया की सूचना सार्वजनिक न किए जाने से वह लोग भी हिस्सा लेने से वंचित रह गए जिनसे सरकार को बेहतर राजस्व मिलता। वेबसाइट से समयपूर्व ही सूचना हटा दी गई। जब टेंडर के लिए आवेदन किया गया तो तमाम बाधाएं पैदा होने लगीं। इसी को आधार पर एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय की शरण ली है।

========

चार वर्ष पूर्व शुरू हुई थी नीति

वर्ष 2016 में नदियों से उपखनिज चुगान के लिए उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति बनाई गई थी। मकसद रहा किसी भी नदी क्षेत्र में उपखनिज यानी रिवर बेस्ड मैटेरियल के जरूरत से ज्यादा मात्रा में जमा होने पर भूकटाव व जनधन के संभावित खतरे से निपटने को निस्तारण कराना। यह प्रक्रिया बरसात शुरू होने तक लागू रखने की व्यवस्था बनाई गई।

=======

क्या है रिवर ट्रेनिंग

नदी क्षेत्रों से उपखनिज मसलन रेता बजरी आदि निकाल तटबंध निर्माण कराना। ताकि नदी को उसके प्राकृतिक मूल स्वरूप में रखा जा सके। यह कार्य विशेषज्ञों की निगरानी में ही किया जाता है। ताकि रिवर ट्रेनिंग की आड़ में उपखनिज का अवैध कारोबार न किया जा सके। नदी का मूल पथ भी न बिगड़े। साथ ही आसपास की कृषि भूमि व आबादी क्षेत्र को किसी तरह का खतरा न हो, इसका भी ख्याल रखा जाता है।

======

'मामला उच्च न्यायालय में है। हमने अपना पक्ष रख दिया है। आदेश के अनुरूप ही अगली कार्यवाही की जाएगी।

- अपूर्वा पांडे, संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत'

=======

रिवर ट्रेनिंग में सत्तापक्ष का कोई रोल नहीं है। पदाधिकारियों का भी हस्तक्षेप नहीं है। हां, पार्टी का कोई कार्यकर्ता यदि ठेकेदार है तो वह अपने हिसाब से ठेके लेता है। टेंडर में कौन हिस्सा लेगा कौन नहीं, इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।

- रवि रौतेला, भाजपा जिलाध्यक्ष


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.