Almora News: अन्याय के विरुद्ध रोशन बानो बन गई सनातनी ‘रोशनी’, बोलीं- नहीं होती महिलाओं की इज्जत
Almora News पहाड़ की बेटियां अब अबला नहीं सबला हैं। सजग हैं सशक्त भी हो चली हैं। और प्रताडना के विरुद्ध आवाज उठाने के साथ ही आत्मसम्मान की रक्षा के लिए निजी फैसले लेने की ताकत भी जुटा रहीं। रोशन बानू से रोशनी बनी बेटी ज्वलंत उदाहरण है।
जागरण संवाददाता, रानीखेत: पहाड़ की बेटियां अब अबला नहीं सबला हैं। सजग हैं, सशक्त भी हो चली हैं। और प्रताडना के विरुद्ध आवाज उठाने के साथ ही आत्मसम्मान की रक्षा के लिए निजी फैसले लेने की ताकत भी जुटा रहीं। रोशन बानू से रोशनी बनी बेटी ज्वलंत उदाहरण है। संस्कार व परंपराओं वाली सांस्कृतिक नगरी में जन्मी, पलीबढ़ी रोशन अपने ही स्वजनों के अत्याचार से इस कदर आहत हुई कि अपने समुदाय को तिलांजलि दे वह सनातनी हो गई।
स्वजनों के अत्याचार से आहत युवती ने त्यागा अपना समुदाय
उसने तर्क दिया कि सनातन धर्म में लड़कियों व महिलाओं के हक की बात की जाती है। कहा कि- उसके समुदाय में रिश्तेदारी में ही शादी की परंपरा उसे खटकती आई है। वहीं नारी को ही गलत ठहरा कर फतवा जारी कर दिया जाता है। रोशनी ने अब सनातन को आत्मसात कर आने वाली पीढी को वैदिक संस्कृति से लबरेज बनाने का संकल्प लिया है।
रोशनी की कहानी बेहद मार्मिक और मन मस्तिष्क को पीड़ा देने वाली रही है। ‘दैनिक जागरण’ से खास बातचीत में वैदिक धर्म शास्त्रों के अनुसार सनातन में रम चुकी रोशनी ने अपना दर्द बयां किया। बोली-सनातन में महिलाओं को सम्मान देना सिखाया जाता है। यहां नारी के हक में बात होती है। गलत होने पर पुरुष समाज पीड़िता के पक्ष में उठ खडा होता है। आगे कहा कि मुस्लिम समुदाय में अत्याचार के विरुद्ध बोलने वाली महिला को ही गलत साबित कर दिया जाता है। भेदभाव इस कदर कि पांव की जूती समझा जाता है। रिश्तेदारों में ही शादी शुरू से ही खटकती थी। रोशनी ने कहा कि यह सब उसने अपने ही घर में देखा। उसके साथ ऐसा घटना कि उसने सबकुछ त्याग कर सनातनी होने का कड़ा फैसला ले लिया। क्योंकि सनातन में सम्मान है।
बेटा होने का निभाती रही फर्ज पर कोई मोल न समझा
बकौल रोशनी, वह घर में सबसे बडी है और बेटा होने का फर्ज निभाती आई। 2012 में बरेली से नर्सिंग का कोर्स पूरा करने के बाद हवालबाग ब्लाक में पहली तैनाती मिली। नौकरी के साथ एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से बीए फिर एमए किया। 2017 में नागरिक चिकित्सालय रानीखेत में बतौर नर्स ज्वाइन किया। अपना करियर संवारने के साथ भाई को बीएड, दूसरी बहन को नर्सिंग कालेज में दाखिला दिला, सबसे छोटी को उच्च शिक्षा दिलाई। मगर उसे तुच्छ माना गया। आरोप लगाया कि भाई हिंसक प्रवृत्ति का है। रोशनी ने बताया कि उसने बैंक से लोन लेकर मकान जोड़ा। भाई अपने नाम कराने को लड़ने लगा। समझाया कि ऋण चुकाए बगैर मकान अपना नहीं हो सकता। इस पर पीटा गया। पिता के सामने मुंह से खून निकाला पर पिता भी अन्याय का साथ देने लगे। तब से लगातार प्रताड़ित कर पीटा जाने लगा।
और पिता ने भी दुखा दिया दिल
रोशनी के अनुसार, उसके टम्टा मोहल्ला अल्मोड़ावासी पिता बशीर अहमद प्रताड़ित कर कहते थे कि पेड़अ हमने लगाया है, फल भी हम ही खाएंगे। जन्म दिया है तो कत्ल भी कर देंगे। डरी सहमी रोशनी ने कोतवाली में तहरीर दी। तब उसके पिता ने माफीनामा दिया। रोशनी ने यह भी बताया कि वह रानीखेत में किराए में रहने लगी। आरोप लगाया कि स्वजन वहां आकर भी मारपीट करते। घर ले जाने, जान से मारने की धमकी देते रहे। रोशनी ने यह भी कहा कि पिता होने के बावजूद वह चाहते थे कि बेटी मर जाएगी तो प्रापर्टी उनके नाम हो जाएगी। आखिर में परिवार की प्रताड़ना से तंग आकर उस सनातन को अपनाने का कड़ा फैसला लिया जहां बेटियों व महिलाओं को सम्मान दिया जाता है। 2022 में रोशनी ने स्वजनों से रिश्ता तोड़ अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। रोशनी ने धमकियों के बीच रानीखेत पुलिस व प्रशासन के सहयोग को सराहनीय बताया।
‘ऐसा नहीं है कि किसी से प्रभावित हूं। अपने ही घर समाज से प्रताडित हूं। जिस गाडी से दुर्घटना हो जाय दोबारा उसमें बैठने से डर लगता है। मेरे साथ तो उत्पीड़न हुआ। मानसिक संतुलन बिगाड़ा गया। अवसाद की दवाएं खाई। कैसे भूल सकती हूं। तबियत बिगड़ी तो सोने की चेन तक उतार ली गई। ऐसे में मैं कैसे वापस जा सकती हूं। मरना पसंद है लेकिन अपने समुदाय में वापस नहीं जाऊंगी। बीते दिसंबर एसडीएम कार्यालय हल्द्वानी में सूचना दी। अनुमति मिलने पर चार दिसंबर को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी में स्वेच्छा से सनातन को अपना लिया। मैं चाहूंगी कि मेरी आने वाली पीढ़ी वैदिक संस्कृति, शास्त्रों का ज्ञान ले और नारी को सम्मान देने वाले सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भी करे।'
- रोशनी, स्टाफ नर्स गोविंद सिंह माहरा नागरिक चिकित्सालय रानीखेत