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    Almora: रबी की फसल पर संकट गहराया, काश्तकार परेशान; बारिश का है इंतजार

    Almora बदलते मौसम की मार किसानों को झेलनी पड़ रही है। अक्टूबर माह में वर्षा नहीं होने तथा नवंबर में आंशिक तौर पर कुछ ही स्थानों पर वर्षा होने से चार प्रतिशत रबी की फसल पर असर पड़ा है। खेतों में पर्याप्त तौर पर गेहूं जौ व अन्य फसलें समान रूप से नहीं उग पाई हैं। जिले में 22302 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी फसल की बुआई की गई है।

    By dk joshiEdited By: Swati SinghUpdated: Sat, 02 Dec 2023 03:01 PM (IST)
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    रबी की फसल पर संकट गहराया, काश्तकार परेशान

    संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा। उत्तराखंड में मौसम लगातार बदल रहा है। इस बदलते मौसम की मार किसानों को झेलनी पड़ रही है। अक्टूबर माह में वर्षा नहीं होने तथा नवंबर में आंशिक तौर पर कुछ ही स्थानों पर वर्षा होने से चार प्रतिशत रबी की फसल पर असर पड़ा है। खेतों में पर्याप्त तौर पर गेहूं, जौ व अन्य फसलें समान रूप से नहीं उग पाई हैं। इसका असर फसल उत्पादन पर पड़ने की संभावना है।

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    जिले में 22,302 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी फसल की बुआई की गई है। बीते दो माह से बारिश नहीं होने से काश्तकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई थी। खासकर नवंबर में गेहूं, जौ आदि की बुआई के बाद तो जिले के कुछ ही क्षेत्रों में आंशिक तौर पर वर्षा हुई। इससे कुछ नमी वाले इलाकों में गेहूं उगा तथा अन्य क्षेत्रों में गेहूं व जौ व अन्य फसलें आधी- अधूरी ही उग पाई।

    फसलें होने लगी खराब

    वर्षा नहीं होने से गेहूं व जौ की पौध पीली पड़ने लगी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार रबी की फसल को बोआई के बाद दिसंबर माह तक कम से कम 40 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। मगर इस बार ऐसा नहीं हो पाया। इस बार नवंबर माह में अल्मोड़ा व इसके आसपास के कुछ क्षेत्रों में 16 मिलीमीटर वर्षा हो पाई।

    नहीं है सिंचाई की सुविधा

    जिले में रबी की फसल के कुल कृषि क्षेत्र का सिर्फ 10 प्रतिशत ही सिंचाई सुविधा से जुड़ा है, बाकि 90 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा के जल पर ही निर्भर है। पूरे रबी सीजन में इस फसल को कम से कम 300 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है, जो अब तक मात्र 16 मिलीमीटर ही हो पाई है।

    सब्जियों पर भी पड़ा है असर

    वर्षा नहीं होने से केवल फसल पर ही असर नहीं पड़ रहा बल्कि काश्तकारों की ओर से बोई गई सब्जियों पर भी पड़ा है। काश्तकार बाेई गई सब्जियों को सिंचाई के माध्यम से बचाने में लगे हैं। बारिश का सीधा असर उत्पादन पर भी पड़ा है।

    अक्टूबर-नवंबर सबसे गर्म महीने

    बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर माह में गर्मी अधिक पड़ी है। बदलते मौसम के असर को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा रहा है। जिसके आने वाले समय में संकट बढ़ सकता है।

    जिले में रबी फसल की फसल

    फसल - क्षेत्रफल

    गेहूं - 15750

    जौ - 3350

    मसूर - 1050

    लाई व सरसों - 1955

    चना - 9

    मटर - 187.5

    (नोट : फसल का क्षेत्रफल हेक्टेयर में है।)

    अधिकारियों ने कही ये बात

    बुआई के तुरंत बाद वर्षा नहीं होने से रबी की फसल पर असर पड़ा है। खेतों में समान तौर पर फसल नहीं उग पाई है। यदि दिसंबर माह में ठीक-ठाक वर्षा नहीं हुई तो इसका असर रबी की फसल पर पड़ेगा। वहीं फसल की पैदावार भी प्रभावित होगी। - डा. बीएम पांडे, कृषि विज्ञानी, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान

    रबी की फसल की बोआई के दौरान जिन क्षेत्रों में नमी थी। उन क्षेत्रों में रबी की फसल समान तौर पर उगी। जिन क्षेत्रों में जीवाश्म खाद का उपयोग कम होता है वहां नमी कम रहने से फसल समान रूप से नहीं उग पाई। बुआई के बाद आवश्यकता अनुसार वर्षा नहीं होने से कम नमी वाले क्षेत्रों में चार प्रतिशत फसल पर असर पड़ा है। -आनंद गोस्वामी, प्रभारी मुख्य कृषि अधिकारी

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