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    अल्मोड़ा को मिला फारेंसिक एक्सपर्ट, अब तेजी से सुलझेगी अपराधों की गुत्थियां

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 05:01 PM (IST)

    अल्मोड़ा में फॉरेंसिक एक्सपर्ट की नियुक्ति से कुमाऊं मंडल में अपराध जांच को गति मिलेगी। अब जटिल मामलों की गुत्थियां तेजी से सुलझेंगी और अदालतों को सटीक आयु निर्धारण रिपोर्ट समय पर मिल सकेगी। पहले नमूनों को देहरादून भेजना पड़ता था, जिससे देरी होती थी, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर ही जांच संभव हो पाएगी, जिससे पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा।

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    कुमाऊं स्थित छह जिलों के स्वास्थ्य महकमे में एक मात्र विशेषज्ञ. Concept Photo

    हेमंत बिष्ट, जागरण अल्मोड़ा । कुमाऊं मंडल में अपराध जांच के क्षेत्र में अब एक नई उम्मीद की किरण जगी है। स्वास्थ्य विभाग को अब अपना पहला फारेंसिक एक्सपर्ट मिल गया है। डा. मयंक किशोर चंद्र की तैनाती अल्मोड़ा के स्वास्थ्य विभाग में होने से न केवल जिले, बल्कि पूरे कुमाऊं को लाभ मिलेगा। इससे अब जटिल अपराधों की गुत्थियां पहले से तेजी और वैज्ञानिक तरीके से सुलझाई जा सकेंगी। अदालतों को सटीक आयु निर्धारण रिपोर्ट समय पर मिल जाएगी।

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    अब तक क्षेत्र में फारेंसिक जांच के मामलों को हल करने के लिए नमूने देहरादून, रुद्रपुर आदि महानगरों में भेजने पड़ते थे। जिससे रिपोर्ट आने में देरी होती थी और न्यायिक प्रक्रियाएं भी प्रभावित होती थीं। लेकिन अब डा. चंद्र की तैनाती से यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। फारेंसिक जांच के जरिये अब अपराध, दुर्घटनाओं, श्रम विवादों और उम्र निर्धारण जैसे मामलों में तथ्यों की सटीक और विश्वसनीय रिपोर्ट अदालतों को समय पर मिल सकेगी। इससे न केवल जांच एजेंसियों को मदद मिलेगी बल्कि पीड़ितों को भी शीघ्र न्याय प्राप्त होगा।

    कई बार किसी अपराध या कानूनी विवाद में आरोपित या पीड़ित की उम्र तय नहीं हो पाती थी, जिससे फैसलों में देरी या असमंजस की स्थिति बनती थी। अब एक्स-रे और अन्य फारेंसिक तकनीकों से यह प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर ही पूरी की जा सकेगी। फारेंसिक विशेषज्ञ की तैनाती से स्वास्थ्य विभाग की क्षमता में बड़ा विस्तार हुआ है। यह कदम न केवल अपराध जांच में, बल्कि न्याय प्रणाली की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने में भी मील का पत्थर साबित होगा।

    हड्डियों से आयु निर्धारण पर शोध कर चुके हैं डा. मयंक

    अल्मोड़ा : जिला अस्पताल के फारेंसिक विभाग के डा. मयंक किशोर चंद्र ने उत्तराखंड के पहाड़ी और तराई क्षेत्र के 11 से 17 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की हड्डियों के एक्स-रे का अध्ययन किया। इसमें उन्होंने कुहनी की रेडियस, ह्यूमरस, अल्ना, तथा हाथ, कलाई, मणिबंध-अस्थि और अंगुल्यास्थि का विशेष विश्लेषण किया। शोध में यह पाया गया कि हड्डियों के फ्यूजन (पिघलने की प्रक्रिया) के माध्यम से व्यक्ति की वास्तविक आयु का अधिक सटीक आकलन किया जा सकता है।