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    ओ माता नंदा-सुनंदा तू दैंण है जाए..

    By Edited By:
    Updated: Sun, 20 Sep 2015 10:54 PM (IST)

    === हाईलाइटर === 1890 में संस्कृति कर्मी एवं तत्कालीन राय साहब हरकिशन लाल साह तथा मथुरा लाल साह न

    === हाईलाइटर ===

    1890 में संस्कृति कर्मी एवं तत्कालीन राय साहब हरकिशन लाल साह तथा मथुरा लाल साह ने जिस महोत्सव की नीव रखी, बाद के रंगकर्मियों और स्थानीय नागरिकों ने इस परंपरा को न केवल धरोहर के रूप में संजोए रखा बल्कि आधुनिकता से इतर सकारात्मक बदलाव के साथ सांस्कृतिक मूल्यों को जिया भी। उत्तराखंड राज्य गठन के दरमियान वर्ष 2000 में श्री नंदा देवी महोत्सव समिति ने मिलजुल कर भव्य नंदा देवी मंदिर का निर्माण कराया। पौराणिक गाथाओं एवं ऐतिहासिकता को समेटे सांस्कृतिक नगरी रानीखेत का मां नंदा देवी महोत्सव 125वें वर्ष में प्रवेश कर गया है'

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    लगा मानो साक्षात मां नंदा उतर आई

    - लोक कलाकारों ने दी सजीव प्रस्तुति

    संवाद सहयोगी, रानीखेत : ओ माता नंदा-सुनंदा तू दैंण है जाए.., हिमालयी प्रांत की अराध्य मां नंदा एवं सुनंदा की मन को छू लेने वाली स्तुति। इंद्रधनुषी मंच पर लोक कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति से लगा मानो समूचा पहाड़ रानीखेत में उतर आया। लोक की धुन पर थिरकते कदम, मधुर कंठ से गीतों के बोल फूटे तो कुमाऊं-गढ़वाल की गौरवशाली परंपरा का दीदार भी हुआ। महोत्सव का रंगारंग श्रीगणेश हुआ मां नंदा एवं सुनंदा की मनस्कांत स्तुति से। ओ माता नंदा-सुनंदा तू दैंण है जाए.. फिर जै बौला भगोती नंदा, नंदा तू कुमौं गढ़वाल की.., आदि के जरिए लोक कलाकारों ने अराध्य देवी का गुणगान किया। इसी कड़ी में प्रख्यात कुमाऊंनी लोक गायक दीवान सिंह कनवाल व अंकिता ने पहाड़ की सुरम्य वादियों का दीदार कराया। आयोजन में श्री नंदा देवी महोत्सव समिति अध्यक्ष हरीश लाल साह, किरन लाल साह, एलएम चंद्रा, जयंत सिंह रौतेला, जेपीस साह, वीसी साह, पंकज साह, भाष्करानंद, अनिल वर्मा, व्यापार मंडल अध्यक्ष यतीश सिंह रौतेला, हरीश मनराल आदि उपस्थित रहे।

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    कूची से दिया भावनाओं को रंग

    रानीखेत : मां नंदा देवी महोत्सव पर कला प्रतियोगिता में नगर क्षेत्र ही नहीं ब्लॉक के तमाम विद्यालयों के बच्चों ने हिस्सा लिया। विभिन्न वर्गो में शुरू कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने हुनर का लोहा मनवाया।

    === इंसेट===

    प्रतिमा निर्माण जोरों पर

    मां नंदा एवं सुनंदा की प्रतिमा निर्माण का कार्य जोरों पर हैं। कमल राम के साथ ही समिति सदस्य इन्हें मूर्त रूप देने के लिए रात-दिन जुटे हैं।