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    वाराणसी में यशस्वी प्रधान : आय का स्रोत विकसित कर आत्मनिर्भर बनें ग्राम पंचायतें- बोले वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल

    yashasvi pradhan in varanasi मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि शहर हो या गांव हर एक के समग्र विकास के लिए सरकार दृढ़ संकल्पित है। इसके लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही लेकिन सत्य यह भी है कि ग्राम पंचायतों को सरकार पर निर्भरता की सोच खत्म करनी होगी।

    By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sat, 14 May 2022 10:22 PM (IST)
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    दीप जलाकर उद्घाटन करते दीपक अग्रवाल(कमिश्नर) पूनम मौर्या (जिला पंचायत अध्यक्ष)पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह (विकासशील किसान)(बाएं से)।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि शहर हो या गांव हर एक के समग्र विकास के लिए सरकार दृढ़ संकल्पित है। इसके लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही, लेकिन सत्य यह भी है कि ग्राम पंचायतों को सरकार पर निर्भरता की सोच खत्म करनी होगी। अपने संसाधनों से आय के स्रोत विकसित करने होंगे। इससे गांव विकास पथ पर तेजी से आगे बढ़ेगा, खुशहाल होगा और माडल बनेगा।

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    दीपक अग्रवाल दैनिक जागरण व अल्ट्राटेक सीमेंट की ओर से चयनित यशस्वी प्रधानों के सम्मान समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि 'ग्राम्य विकास में तकनीकी समस्याएं और समाधान विषयक संवाद में वाराणसी, आजमगढ़ व मीरजापुर मंडल से आए प्रधानों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने ग्राम प्रधानों को प्रोत्साहित किया और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। कहा कि गांव आत्मनिर्भर होंगे तो देश आत्मनिर्भर होगा। जलस्तर को बेहतर करने के लिए ग्राम प्रधानों को उत्साहित किया। उन्होंने कुछ जरूरतमंदों को आवास न मिलने को पहले के जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराया। आह्वान किया कि अब जब सर्वे हो तो ईमानदारी से लगकर जिम्मेदार लोग इसे कराएं।

    घटते जल स्तर पर ङ्क्षचता जताते हुए दीपक अग्रवाल ने कहा कि इसके लिए ग्राम पंचायतों को गंभीरता से लगना होगा। सरकार हर सुविधा दे रही है, सिर्फ आप अपनी सोच व संकल्प को इससे संलग्न कर इसे जमीन पर उतार सकते हैं। अपने गांव को संवार सकते हैं। अमृत सरोवर के लिए वित्त आयोग, ग्राम निधि सहित कई मद हैं।

    ग्राम्य स्तर पर निर्माण कार्यों की दर को लेकर मंडलायुक्त ने कहा कि यह इसका आकलन पीडब्ल्यूडी और सीपीडब्ल्यूडी के विशेषज्ञ तय करते हैं, पूरे देश में यही दर है। अन्य सभी एजेंसियां इसी दर पर काम करा रहीं हैं। मत्स्य पालन पट्टे के संबंध में आए सवाल पर कहा कि यह राजस्व विभाग का काम है। इसका पैसा राजकीय कोष में जमा होता है। निर्धारित अंश ग्राम पंचायत को मिलता है ताकि उससे वह अपने विकास का कार्यों को संचालित कर सके।

    सामुदायिक शौचालय व गोबर से आमदनी कर रहे जौनपुर व वाराणसी के गांव

    मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने उदाहरण दिया कि जौनपुर के कुछ गांवों में सामुदायिक शौचालयों से पंचायतें बेहतर आमदनी कर रहीं हैं। यहां कुछ जरूरी सामान रखकर बेचे जा रहे हैं। इससे पंचायत की आय बढ़ रही है। इसी तरह वाराणसी में गैस के लिए गोबर उपयोग में लाया जा रहा है। यह दूसरे गांवों के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने स्कूलों की खाली जमीन पर शाक-सब्जी की खेती व बागवानी का सुझाव दिया। कहा कि उपज को उपयोग में लाकर अतिरिक्त खर्च से बचा जा सकता है।

    दबंगई के बल पर कोई कब्जा नहीं कर सकता, परिणाम सबको पता है

    प्रधानमंत्री आवास को लेकर बताया कि सैक सर्वे के दौरान जो नाम सूची में हैं, वही कंप्यूटर में फीड हैं। इस डाटा से कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता। तालाब, सरकारी जमीन समेत अन्य संपत्ति पर कब्जे के सवाल पर मंडलायुक्त ने कहा कि दबंगई के बल पर कोई कब्जा नहीं कर पाएगा। इसका परिणाम सबको पता है। प्रदेश सरकार इसको लेकर सख्त है। संकल्प है कि कोई भी भूमाफिया बच नहीं सकता। इसकी शिकायत व समाधान के लिए गांव से लेकर मुख्यालय तक व्यवस्था है तो ओपन पोर्टल भी हैं। इस पर अपनी बात रखें।

    इन प्रधानों ने यू पूछे सवाल

    ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के बिना ही एसडीएम मत्स्य पट्टा कर देते हैं। ऐसे में कैसे आय बढ़े।

    -राकेश ङ्क्षसह, ग्राम प्रधान भीषमपुर (सेवापुरी), जिलाध्यक्ष, प्रधान संघ।

    अमृत सरोवर योजना में तालाबों के लिए किस मद से राशि खर्च कर सकते हैं।

    -विनोद पाल, ग्राम प्रधान गोंदालपुर, जौनपुर।

    महंगाई तेजी से बढ़ी है। मनरेगा से काम कराने में कठिनाई आ रही है।

    -श्रीकांत चौबे ग्राम प्रधान देवली, कासिमाबाद, गाजीपुर।

    छोटे ग्राम पंचायत की निधि बहुत कम होती है। इसे बढ़ाया जाय।

    -बीरबल (प्रधानपति), जमालपुर, मोहम्मदपुर, आजमगढ़।

    अस्थायी गौशाला में मात्र 900 रुपये प्रति पशु पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था कैसे हो।

    -महेंद्र कुमार राजन, ग्राम प्रधान रमईपुर, ज्ञानपुर भदोही।

    गैस सिलेंडर से लेकर प्रत्येक वस्तु महंगी हो गई, कन्वर्जन मनी वही है। स्कूलों में भोजन की कैसे व्यवस्था हो।

    -पूनम मिश्रा ग्राम प्रधान कैयरमऊ, औराई भदोही।

    मनरेगा के तहत पक्के काम का भुगतान नहीं हो पा रहा है।

    -मदीना बेगम, ग्राम प्रधान देईपुर, चोलापुर, वाराणसी।

    नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आवास की बहुत जरूरत है।

    - सुषमा मिश्रा, ग्राम प्रधान कवलपुरवां, शाहाबगंज, चंदौली।

    जल-नल योजना उसी गांव को जा रही है, जहां पानी टंकी है।

    -रामसूरत, ग्राम प्रधान उगापुर, चोलापुर।

    ग्राम पंचायतों में रास्ते कब्जे कर लिए गए हैं। नालियों पर अतिक्रमण है।

    -मधुबन यादव, ग्राम प्रधान चक्का, हरहुआ व मंत्री प्रधान संघ वाराणसी।