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भगवान राम पर विश्व का पहला वर्चुअल 'स्कूल ऑफ राम' विद्यालय, वर्चुअल विद्यालय का प्रारूप तैयार

अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बने ऐसा अनेक सन्त-सत्पुरुषों का संकल्प था किन्तु रामत्व की सकारता भौतिकीय उत्कर्ष में नहीं अपितु राम के दिव्यातिदिव्य गुणों के अनुशीलन में है। हम राम को अपने अंतकरण में उतार कर देखें।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 04:43 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 04:43 PM (IST)
भगवान राम पर विश्व का पहला वर्चुअल 'स्कूल ऑफ राम' विद्यालय, वर्चुअल विद्यालय का प्रारूप तैयार
भगवान श्रीराम पर एक वर्चुअल विद्यालय का प्रारूप तैयार किया है।

वाराणसी, जेएनएन। स्कूल ऑफ राम के संयोजक प्रिंस ने बताया कि भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित यह विद्यालय संभवत: विश्व का पहला ऐसा अनोखा वर्चुअल विद्यालय होगा जो राम के जीवन आदर्शों ओर रामायण एवं रामकथा के वैश्विक स्वरूप को जन सामान्य तक ऑनलाइन इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पहुंचाने का काम करेगा।

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अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बने ऐसा अनेक सन्त-सत्पुरुषों का संकल्प था, किन्तु रामत्व की सकारता भौतिकीय उत्कर्ष में नहीं, अपितु राम के दिव्यातिदिव्य गुणों के अनुशीलन में है। हम राम को अपने अंत:करण में उतार कर देखें। राम जैसा पुत्र, पिता, भाई और पति बनकर देखें। जिस प्रकार का दिव्य जीवन राम ने जिया है उसकाे अपनााकर देखें तभी रामत्व की सार्थकता है। आज विश्व के समक्ष विकृत पर्यावरण की जो चुनौती है उसे राम की भांति प्रकृति केंद्रित जीवन जीकर ठीक किया जा सकता है। भगवान श्रीराम के इन्हीं युगों पुराने आदर्शों एवं रामायण के संस्कारों को अभिनव तरिकों से जन-जन तक पहूंचाने के लिए विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालय बलराम उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर बस्सी के पूर्व छात्र एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यनरत प्रिंस तिवाड़ी ने भगवान श्रीराम पर एक वर्चुअल विद्यालय का प्रारूप तैयार किया है। इसे स्कूल ऑफ राम का नाम दिया है। 

प्रिंस का कहना है कि स्कूल ऑफ राम का उदेश्य और लक्ष्य ध्रुव की तरह बिल्कुल साफ है। हम इस विद्यालय के जरिए व्यक्ति निर्माण की बात करना चाहते हैं। आदर्शों के अभाव में परिवार का स्तर जो नष्ट हो गया है, उसका हम विकास करना है। हम व्यक्ति ओर समाज के बीच की कड़ी की स्थापना करना चाहते हैं, जिसका नाम है परिवार। इसी में से लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद निकलते हैं। वह आज चरमरा गया है। हम उसे ठीक करना चाहते हैं। परिवार को हमें रामायण के संदेशों के माध्यम से शिक्षित करना है। आने वाली इस नई युवा पीढ़ी को संस्कारित करना है। तभी व्यक्ति, परिवार ओर समाज निर्माण का उद्देश्य पूरा होगा और मुझे यह विश्वास है कि यहां लोग इस प्रकार की बातें सीखेंगे तो हमारा विश्वगुरु ही नहीं विश्वकर्मा भारत का सपना भी सच हो सकेगा।

हमने अपने इस अभिनव विद्यालय की पहल के द्वारा भगवान श्रीराम के आदर्शों और रामायण के संस्कारों को समाज तक ले जाने का काम केवल राम की दुहाई देने के लिए ही नहीं वरन समाज को राम के आदर्श चरित्र से अवगत कराने के लिए प्रारंभ किया है। ताकी इसके माध्यम से इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरणा दी जा सके। ओर जैसा की हमारा उद्देश्य है व्यक्ति, परिवार ओर समाज का निर्माण,इसी प्रेरणा से हमने इस स्कूल को प्रारंभ किया है।

फाल्गुन शुक्ल दशमी बुधवार यानी 24 मार्च को शाम चार बजे इस स्कूल ऑफ राम का शुभारंभ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला करेंगे। कार्यक्रम में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे, विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री अवनीश जी भटनागर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। कार्यक्रम में विद्या भारती संस्थान जयपुर के प्रान्त मंत्री सुरेश वधवा, सहायक प्रोफेसर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इतिहास विभाग डॉ. अशोक सोनकर एवं नेश्नल युथ अवॉर्डी खेल एवं युवा कार्यक्रम भारत सरकार डॉ. रामदयाल सैन की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

कार्यक्रम का सजीव प्रसारण संस्था के फेसबुक पेज के माध्यम से भी किया जाएगा।


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