कभी सोचा है, हम बीमार क्यों पड़ते हैं? आयुर्वेदाचार्य ने बताई असली वजह, आप भी नोट कर लें
आयुर्वेदाचार्य के अनुसार, शरीर में वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण हम बीमार पड़ते हैं। यह असंतुलन गलत खानपान, अनियमित जीवनशैली और तनाव से होता है। स्वस्थ रहने के लिए सही समय पर सोना, पौष्टिक भोजन खाना, व्यायाम करना और तनाव से दूर रहना आवश्यक है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अमूमन हम सभी मौसम में बदलाव या अन्य वजहों से बीमारी होते ही रहते हैं। मगर बीमार होने की क्या वजह है यह आयुर्वेद हमें स्पष्ट करता है। आयुर्वेदाचार्य डा. अजय गुप्ता के अनुसार आयुर्वेद अपने आप से जुड़ने की एक यात्रा है। भारत की धरती ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है, लेकिन सबसे अनमोल उपहार है आयुर्वेद, जो सिर्फ दवाओं की पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।
आज जब दुनिया तनाव, प्रदूषण, दवाओं के दुष्प्रभाव और उलझी हुई दिनचर्या से जूझ रही है, आयुर्वेद एक बार फिर हमारी ज़िंदगी में अपनी जगह बना रहा है—क्योंकि यह केवल शरीर नहीं, मन और आत्मा को भी उपचार देता है। मगर बीमार होने के पीछे भी कई वजहें हैं।
आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद का मूल संदेश बहुत सुंदर है—
“बीमारी होने पर इलाज करो मत… बीमारी होने से पहले शरीर को संसार योग्य बनाओ।”
यही कारण है कि आयुर्वेद में दो बड़े उद्देश्य हैं:
1. स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणम् – स्वस्थ को स्वस्थ रखना
2. आतुरस्य विकार प्रशमनम् – रोगी का उपचार
आज हम दूसरे पर ही जोर देते हैं, जबकि पहला असल शक्ति है।
तीन दोष – शरीर के तीन स्तंभ (वात, पित्त, कफ)
हर इंसान अलग होता है क्योंकि उसके अंदर इन तीन शक्तियों का अनुपात अलग है:
वात – गति, उत्साह, मन की तेज गति
पित्त – गर्मी, पाचन, दृढ़ निर्णय
कफ – स्थिरता, स्नेह, ताकत, प्रेम
जब ये तीनों सही रहती हैं
आपके मूड से लेकर पाचन, नींद, सोच, ऊर्जा, प्रतिरक्षा-सब कुछ ठीक रहता है।
पर इनमें गड़बड़ी आए तो बीमारी आना स्वाभाविक है।
हम क्यों बीमार पड़ते हैं?
आयुर्वेद के अनुसार बीमारी तभी आती है जब हम चार जगह गलती करते हैं:
1. आहार में – गलत समय, गलत भोजन, अत्यधिक तला-भुना
2. विहार में – देर रात तक जागना, नींद की कमी, बैठे रहना
3. मानसिक स्तर पर – तनाव, गुस्सा, भय
4. ऋतु के अनुसार न रहना – मौसम बदल रहा है पर आदतें नहीं
आयुर्वेद की खासियत — Root Cause Treatment
आयुर्वेद दर्द को दबाता नहीं,
बल्कि जड़ पर जाकर ठीक करता है।
चाहे डायबिटीज हो, हाइपरटेंशन, मोटापा, स्किन रोग या पाचन की समस्या—
योग्य आयुर्वेद चिकित्सक शरीर की प्रकृति, दोष, आहार और मनोदशा देखकर इलाज तय करते हैं।
इसीलिए इसका असर स्थायी होता है और बिना दुष्प्रभाव के होता है
आयुर्वेद दवाओं से पहले दिनचर्या पर काम करता है
आयुर्वेद कहता है कि यदि आप:
समय पर सोए
समय पर खाएँ
ऋतु के अनुसार जीवन जिएं
नियमित योग व प्राणायाम करें
और मन को शांति दें
तो 70% बीमारियाँ अपने-आप दूर हो जाती हैं।
आयुर्वेद = Nature + Science + Mindfulness
इसमें जड़ी-बूटियाँ हैं
भोजन को दवा माना गया है
योग से शरीर सुधरता है
प्राणायाम से मन शांत होता है
पंचकर्म से शरीर की गहराई तक सफाई होती है
और सत्व (मन) बनाने से जीवन बदल जाता है
आयुर्वेद का हर कदम वैज्ञानिक है
बस भाषा हमारी है, पद्धति प्रकृति की है और परिणाम गहरे हैं।

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