वेटलिफ्टर पूनम यादव का बर्मिंघम कामनवेल्थ में मुकाबला, 76 किलोग्राम भारवर्ग में पदक के लिए दावेदारी
वाराणसी की वेटलिफ्टर पूनम यादव बर्मिंघम कामनवेल्थ में मंगलवार को 76 किलोग्राम भारवर्ग में पदक के लिए दावेदारी पेश कर रही हैं। शाम तक उनके प्रदर्शन का परिणाम भी आ जाएगा। परिजनों ने भैंस को बेचकर बेटी को खेल मैदान में भेजा है।

वाराणसी [देवेन्द्रनाथ सिंह]। हरहुआ के दांदूपुर की रहने वाली वेटलिफ्टर पूनम यादव के परिवार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय का खिलाड़ी बनाने के लिए बड़ा संघर्ष किया है। पूनम के खेल को आगे बढ़ाने के लिए घर की भैंस भी बेचनी पड़ी। कई मदद लोगों से मदद भी लेनी पड़ी।
पांच बेटियों व दो बेटों के पिता कैलाश यादव बताते हैं कि खेल में बच्चों की रुचि शुरू से थी। उन्होंने कभी इसके लिए रोका नहीं बल्कि जहां तक संभव था प्रोत्साहित ही किया। पूनम चौथे नंबर की बेटी है। इसके साथ ही इससे बडी़ शशि और छोटी बेटी भी वेटलिफ्टिंग करती हैं। खेल के साथ उनकी डाइट का इंतजाम करना कैलाश के लिए काफी मुश्किल था। पूनम का खेल काफी अच्छा था इसलिए शशि ने अपने खेल को विराम देकर उसे आगे बढ़ाना तय किया।
पिता ने दो भैसों को बेच दिया जबकि वह जानते थे कि इसके बाद बच्चों के लिए दूध का इंतजाम करना भी मुश्किल होगा। अपने परिवार के त्याग को पूनम ने व्यर्थ नहीं जाने दिया। उसने खेल में अपनी जान लगा दी और एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई। अपनी खेल की बदौलत पूनम रेलवे में सीनियर टीसी पद पर बनारस में तैनात है। बड़ी बहन शशि ने भी रेलवे में नौकरी कर ली है। भाई आशुतोष एथलीट था लेकिन पैर में चोट की वजह से खेल छोड़ना पड़ा। इस वक्त रेलवे में ठेकेदार कर रहा है। छोटा भाई आशुतोष हाकी की जूनियर इंडिया टीम में है। अंडर 16 में अपना खेल दिखा रहा है।
पिता ने देखा था पदक का सपना
पूनम यादव के खिलाड़ी बनने और देश के लिए पदक जीतने का सपना उसके पिता कैलाश यादव ने देखा था। खेलों में विशेष रूचि रखने वाले कैलाश यादव बताते हैं कि ओलिंपिक में वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी के पदक जीतने के बाद से ही उनका सपना था कि उनकी बेटी भी देश के लिए पदक जीते। पूनम का खेल शुरू से ही काफी अच्छा था इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद थी कि पूनम उनका सपना जरूर पूरा करेगी। उन्होंने पूनम के खेल को आगे बढ़ाना शुरू किया। उसने वर्ष 2011 में अभ्यास शुरू किया। इसके साथ खेतों का सारा कामकाज भी करती थी। इतने मेहनत के बाद उसे पूरी डाइट नहीं मिल पा रही। यह बात अपने गुरु स्वामी अगड़ानंद जी के सामने भी रखा। उनके आदेश पर कुछ लोगों से मदद मिली। साथ ही परिवार को कई बार कर्ज भी लेना पड़ा। पूनम ने ना सिर्फ पिता के सपने को पूरा किया बल्कि उनके संघर्ष को भी समाप्त किया।
कामनवेल्थ में जीता है गोल्ड और सिल्वर
पूनम यादव की उपलब्धियों की सूची काफी लम्बी है। उन्होंने अपने खेल बनारस से खेल की शुरुआत की। पूनम कॉमनवेल्थ गेम्स में दो अलग-अलग कैटेगरी में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय वेटलिफ्टर हैं। 2015 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती पुरस्कार और रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार दिया गया था।
-वर्ष 2014 ग्लासग्लो कामनवेल्थ में कांस्य पदक जीता था (63 किलो वेट कैटेगरी में)
-वर्ष 2015 में कामनवेल्थ युवा खेलों के जूनियर व सीनियर वर्ग में स्वर्ण पतक जीता था।
-पुणे में आयोजित कामनवेल्थ चैंपियनिशप 2015 में गोल्ड मेडल जीता था
-2017 गोल्ट कोस्ट कामनवेल्थ चैंपियनिशप में सिल्वर मेडल जीता था।
-वर्ष 2018 में गोल्ट कोस्ट कामनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता था। (69 किलो वेट कैटेगरी में)
-2021 में ताशकंद में आयोजित कामनवेल्थ चैंपियनिशप में सिल्वर मेडल जीता था।

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