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    जानिए क्‍या होती है वामपंथी साधना, कहां है साधना का स्‍थल और कैसे मिलती है सिद्धि

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Wed, 10 Apr 2019 08:45 AM (IST)

    वामपंथी साधना (वाम मार्गीय) की अधिष्ठात्री मां तारा देवी का दस महाविद्याओं में विशिष्ट स्थान है। इनकी साधना से लौकिक सुख-शांति व समृद्धि प्राप्त होती है।

    जानिए क्‍या होती है वामपंथी साधना, कहां है साधना का स्‍थल और कैसे मिलती है सिद्धि

    मीरजापुर, जेएनएन। वामपंथी साधना (वाम मार्गीय) की अधिष्ठात्री मां तारा देवी का दस महाविद्याओं में विशिष्ट स्थान है। इनकी साधना से लौकिक सुख-शांति व समृद्धि प्राप्त होती है। तंत्र साधना के लिए विंध्य क्षेत्र प्रसिद्ध है, जहां मां तारा देवी की साधना करके साधक सिद्धि प्राप्त करते हैं। विंध्याचल धाम महाविद्याओं का प्रधान केंद्र है, जहां साधकों को मां भगवती की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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    ब्रह्मांड के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्र विंध्य क्षेत्र को परम-पावन क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह क्षेत्र अनादिकाल से आध्यात्मिक साधना का केंद्र रहा है। यहां अनेक साधकों ने स्थान के महत्व को समझ कर सर्वे भवन्ति सुखिन: की भावना से साधना कर सिद्धि प्राप्त की है। मां तारा देवी लोक जीवन में आने वाली विपत्तियों से मुक्ति प्रदान करती हैं। तंत्र साधना का स्थल तारापीठ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित है, जहां वामपंथ की साधना की जाती है। आदि शक्ति के महापीठ विंध्याचल में स्थित तारापीठ का अलग ही महत्व है।

    विंध्य क्षेत्र स्थित तारापीठ मां गंगा के पावन तट पर श्मशान के समीप है। श्मशान में शव का धुआं मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के कारण इस पीठ का विशेष महत्व है। इस पीठ में तांत्रिकों को शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है। इस मंदिर के समीप एक प्रेत-शिला है, जहां लोग पितृ पक्ष में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। इसी स्थल पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण व पिंडदान किया था। यह विंध्याचल के शिवपुर स्थित रामगया घाट पर स्थित है। यहां स्थित मां तारा आद्यशक्ति मां विंध्यवासिनी के आदेशों पर जगत का कल्याण करती हैं। देवी पुराण के अनुसार मां तारा देवी जगदंबा विंध्यवासिनी की आज्ञा अनुसार विंध्य के आध्यात्मिक क्षेत्र में सजग प्रहरी की तरह मां के भक्तों की रक्षा करती हैं।