Varanasi Seerial Blast Case दशाश्वमेध रोड पर भी वलीउल्लाह ने रखा था कुकर बम, बिजली मिस्त्री बाबूलाल ने किया था डिफ्यूज
Varanasi Seerial Blast Case वाराणसी में सात मार्च 2006 को संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकियों के निश ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, वाराणसी : सात मार्च 2006 को संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकियों के निशाने पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर भी थी। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) ने इस संबंध में चेतावनी भी दी थी। तत्कालीन एसपी, ज्ञानवापी सुरक्षा जुगुल किशोर बताते हैैं कि कुकर बम को मंदिर के सभी प्रवेश द्वार से अंदर ले जाने की कई बार कोशिश की गई थी। मगर कड़ी सुरक्षा के कारण आतंकी इसमें सफल नहीं हो सके। यदि आतंकी मंदिर में विस्फोट करने में सफल हो जाते तो मृतकों और घायलों की संख्या काफी ज्यादा होती, क्योंकि मंदिर में भीड़ तो होती ही थी, आसपास सैकड़ों परिवार रहते थे। आतंकी घटना के बाद गैस सिलेंडर सहित घरेलू प्रयोग में आने वाले सभी सामान को मंदिर परिसर में तभी जाने दिया जाता, बम निरोधक दस्ता (बीडीएस) उनकी जांच कर लेता था।
बनारस में उस दिन छह अन्य जगहों पर भी कुकर बन मिले थे, जिनमें से एक सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले दशाश्वमेध घाट पर पाया गया था। दशाश्वमेध घाट के एक होटल के बाहर कुकर बम मिलने की सूचना पर सबसे पहले पहुंचे एसपी ज्ञानवापी सुरक्षा जुगुल किशोर ने आस-पास स्थानों की भी जांच की थी। उनके निर्देशन में ही बम को निष्क्रिय किया गया था।
बिजली मिस्त्री बाबूलाल ने निकाले बम के तार
पांच लीटर के कुकर में आरडीएक्स के साथ भारी मात्रा में ब्लेड, बड़ी कील और लोहे के टुकड़े भरे थे। टाइमर का सर्किट वायर कुकर की सीटी के वाल्व में फिट किया गया था। यह इतना शक्तिशाली था कि 50 मीटर के दायरे में सबकुछ तबाह कर देता। ज्ञानवापी विश्वनाथ के पाली प्रभारी रहे इंस्पेक्टर बीके सिंह (अवकाश प्राप्त) ने बताया कि कुकर बम की सीटी में लगे वायर को बाबूलाल नाम के बिजली मिस्त्री ने बम निरोधक दस्ता (बीडीएस) के पहुंचने से पहले ही नोच दिया था। हालांकि टाइमर की घड़ी उस समय चल रह थी। पटरी के अधिकांश दुकानदार अपना सामान छोड़ कर भाग गए थे। जगह-जगह लोगों के सामान व जूते-चप्पल पड़े थे।
बेटी बोली-पापा आप ग्रेट है
ज्ञानवापी बीडीएस के जवान अमरजीत ने बम को निष्क्रिय करने से पहले अपनी बेटी से बात की और उसे बताया कि बम निष्क्रिय करने जा रहा हूं। बेटी परेशान तो हुई लेकिन कहा कि आप लोगों की जान बचाने जा रहे हैैं। आप ग्रेट हैैं। आज आपका व्रत है पापा, बोलो पापा...लेकिन तब तक अमरजीत ने फोन काट दिया था। अमरजीत ने जैसे ही बम को निष्क्रिय किया, पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। अमरजीत की पदोन्नति हुई और थाने का प्रभार मिला। कई संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया।

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