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    गाजीपुर में आर्मी के हवलदार सहित नौ लोगों की थाने में बर्बर पिटाई, पुलिस का अमानवीय चेहरा आया सामने

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Sat, 01 Aug 2020 12:59 AM (IST)

    गाजीपुर नगसर पुलिस का अमानवीय व बर्बर चेहरा सामने आया है। पुलिस ने कितनी बेरहमी से मारा है इसकी गवाही शरीर पर पड़े जख्मों के निशान खुद दे रहे हैं।

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    गाजीपुर में आर्मी के हवलदार सहित नौ लोगों की थाने में बर्बर पिटाई, पुलिस का अमानवीय चेहरा आया सामने

    गाजीपुर, जेएनएन। नगसर पुलिस का अमानवीय व बर्बर चेहरा सामने आया है। बीते 26 जुलाई को मनबढ़ युवक को पुलिस अभिरक्षा से भागने के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक ही परिवार के आर्मी में हवलदार सहित नौ लोगों को पुलिस ने कितनी बेरहमी से मारा है इसकी गवाही शरीर पर पड़े जख्मों के निशान खुद दे रहे हैं। परिजनों ने नगसर थानाध्यक्ष सहित पुलिस कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच एवं कारवाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री एवं पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा है। वहीं शुक्रवार की सुबह दीपेश पांडेय के घर जाकर भाजपा काशी प्रांत के कार्यसमिति सदस्य बालकृष्ण त्रिवेदी घटना के बारे में जानकारी लेकर परिजनों को नगसर थानाध्यक्ष सहित घटना में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने का आश्वासन दिया।

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    नूरपुर निवासी दीपेश पांडेय का आरोप है कि बीते 26 जुलाई की शाम अपने पट्टीदार सेवानिवृत्त आर्मी के हवलदार सुशील पांडेय, जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में तैनात आर्मी के हवलदार कमल कुमार पांडेय, अविनाश पांडेय, निर्भय कुमार पांडेय, इंद्रजीत पांडेय, विशाल पांडेय, भूपेंद्र व विक्की पांडेय के साथ बैठकर 27 जुलाई को बड़ी मां के होने वाले ब्रह्मभोज कार्यकम के तैयारी के बारे में वार्ता कर रहे थे। उसी समय नगसर हाल्ट थाना के थानाध्यक्ष रमेश कुमार पुलिसकर्मी कमलेश, सूरज बिंद, विनोद यादव, रामकृष्ण भुजवा व उपनिरीक्षक कृष्णानंद के साथ पांच से छह लोगों को लेकर सादे वेश में पहुंचे और गाली-गलौज करते हुए कहे कि तुम लोगों के यहां मुलजिम राजन उर्फ झनकू पांडेय के छिपे होने की जानकारी मिली है। इसके बाद पुलिसकर्मी घर में घुसकर सभी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटना शुरू किया और तेरही का सामान नष्ट कर चूल्हा तोड़ दिए। जिससे 50 हजार रुपये का नुकसान हुआ। चीखने-चिल्लाने पर गांव वाले भी एकत्र हो गए। पुलिस वालों ने प्रार्थी व उसके आठ पट्टीदारों को मारते हुए जीप में बैठा दिए। थाने में भी बर्बर तरीके से सभी को मारा पीटा गया। उनका कहना है कि राजन उर्फ झनकू पांडेय के बारे कोई जानकारी नहीं है और न ही उसको भगाने में कोई सहयोग किया गया है। इसके बावजूद पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ मुलजिम छुड़ाने व पुलिस के साथ मारपीट करने का झूठा मुकदमा लिखकर जेल भेज दिया। भाजपा काशी प्रांत के कार्यसमिति सदस्य बालकृष्ण त्रिवेदी दीपेश पांडेय के घर जाकर घटना की जानकारी ली, आश्वासन दिया कि घटना को लेकर पुलिस उच्चाधिकारियों से मिलकर थानाध्यक्ष के ऊपर कड़ी कारवाई कराई जाएगी। प्रफुल्ल तिवारी, दीपक उपाध्याय, संजय तिवारी, नीरज पांडेय और ब्राह्मण जनसेवा मंच के साथ ही ब्राह्मण के कई संगठन के लोग उपस्थित रहे।

    फौजी ने बताई पुलिसिया बर्बरता की कहानी

    पुलिस के मारपीट में घायल आर्मी से हवलदार पद से रिटायर अजय पांडेय (55) व सुशील पांडेय (42) ने बताया कि पुलिस कर्मियों द्वारा थाना में ले जाकर उन्हें जमीन पर लेटा कर पट्टे व चौड़े डंडे में लगे नुकीले कील से जंघा व कमर के नीचे मारा गया। जिससे वहां खून जम जाने से काला पड़ गया है। चीखने-चिल्लाने पर भी पुलिस कर्मी छोड़ नहीं रहे थे। वहीं आर्मी में हवलदार के पद पर तैनात कमल कुमार पांडेय (44) ने बताया कि उन्हें भी कमर के नीचे पुलिस कर्मियों द्वारा पकड़कर बेरहमी से मारा गया जिससे खून जमने से काला निशान पड़ गया है। अविनाश पांडेय (34) ने भी बताया कि मुझे भी डंडे में लगे नोकीले कील से पैर में मारा गया जिससे पैर में अभी भी जख्म के निशान पड़े हुए हैं। इसके अलावा अन्य पांच लोगों ने भी बताया कि हमें भी पुलिसकर्मियों ने बेरहमी पूर्वक मारपीट कर शरीर पर कई जगह जख्म दिए हैं।