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    वरुणा नदी के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए टीम ने शुरू किया ड्रोन सर्वेक्षण

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Sat, 25 Oct 2025 01:04 PM (IST)

    वाराणसी में वरुणा नदी के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए ड्रोन सर्वेक्षण शुरू किया गया है। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य नदी के किनारे की मौजूदा स्थिति का आकलन करना, प्रदूषण स्रोतों की पहचान करना और अतिक्रमण का पता लगाना है। उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरों से लैस ड्रोन विस्तृत तस्वीरें और वीडियो कैप्चर करेंगे, जिससे संरक्षण प्रयासों की योजना बनाने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर सरकार विस्तृत योजना विकसित करेगी।

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    वरुणा नदी के उद्धार के लिए अब तक कई प्रयास हो चुके हैं।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा की सहायक वरुणा नदी का पौराणिक ही नहीं बड़े भूभाग की खेती, जलस्तर, जैविक पौधों के लिए महत्व है। समय के साथ इसके जल धारण क्षेत्र में व्यवधान आया। इसी को देखते हुए इसका जीर्णोद्धार कर संरक्षण के लिए ड्रोन सर्वे का कार्य प्रारंभ किया गया है।

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    यह कार्य हरहुआ से वरुणा के उद्गम स्थल प्रयागराज तक होगा। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सौरभ तिवारी बनाम यूनियन आफ इंडिया मामले के संबंध में वरुणा नदी के फ्लड प्लेन जोन के निर्धारण के लिए चिह्निकरण के लिए सर्वे आफ इंडिया से सर्वे करने का आदेश दिया था।

    सर्वे कर रही कंपनी के प्रोजेक्ट क्वार्डिनेटर सुधांशु सिंह ने बताया कि अधिकरण के आदेश के क्रम में एयरक्राफ्ट (फिक्स विंग हाइब्रिड ड्रोन) पर स्थापित लिडार सेंसर एंड हाई रिजोल्यूशन आप्टिकल कैमरा से हरहुआ से सर्वे कार्य शुरू किया गया है। सर्वे भदोही होते हुए प्रयागराज के नदी के उद्गम स्थल मैलहन झील फूलपुर तक होगा।

    19 अक्टूबर से शुरू सर्वे बड़ागांव तक पहुंच गया है। सर्वे कार्य सुबह से शाम तक चल रहा है। एयरक्राफ्ट को एयरपोर्ट अथारिटी से अनुमति के अनुसार 400 फीट की ऊंचाई से सर्वे कार्य कराया जा रहा है। यह वरुणा नदी के तट, चौड़ाई और जलस्तर का सटीक डिजिटल डेटा जुटा रहा है। 

    वरुणा नदी के उद्धार के लिए अब तक हुए कई प्रयास

    वरुणा नदी अपने तटवर्ती लोगों के जीवन से जुड़ी होने के साथ विशेष जलीय जीव और पौधों आदि के लिए जानी जाती है। इतना ही नहीं इसका अपना पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है।

    वाराणसी के नाम के पीछे तो वरुणा व असि नदी के बीच बसा होने के कारण भी नदी अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोती जा रही है। इसके उद्धार के लिए कई प्रयास हुए। यहां तक कि इजराइल की तरफ से प्रयास हुए। नदी के के लिए बीएचयू ने सर्वे कार्य भी किया। नदी के उच्चावच (ढलान आदि) का अध्ययन किया।