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    नौकरी छोड़ वाराणसी की बेटी बनीं उद्यमी, ‘नेचुराेपैथी’ से मिली संजीवनी तो बना लिया स्टार्टअप

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 01:58 PM (IST)

    वाराणसी की अदिति सिंह ने नौकरी छोड़कर नेचुरोपैथी में अपना भविष्य बनाया। पीसीओडी से जूझने के बाद उन्होंने श्री विधि वेलनेस क्लिनिक शुरू किया जो महिलाओं के लिए डाइट प्लान और आयुर्वेदिक समाधान प्रदान करता है। सीएम युवा उद्यमी योजना से ₹5 लाख का ऋण मिला जिससे क्लिनिक का विस्तार हुआ।

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अदिति का हौसला बढ़ाया।

    व‍िकास ओझा, जागरण वाराणसी। यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट भी लेकर चिराग जलता है..। कुछ इसी सोच को लेकर बड़ी गैबी की अदिती सिंह आइआइटी पटना से एमबीए करने के बाद एक शिक्षण संस्थान से जुड़ीं और मार्केटिंग का काम देखने लगीं लेकिन नौकरी रास नहीं आई। घर लौटीं और ठान लिया कि अब नौकरी नहीं करनी है।

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    इसी बीच पीसीओडी (पालीसिस्टिक ओवरी डिजीज: हार्मोन संबंधी रोग) की चपेट में आ गईं। कहती है कि इस बीमारी ने पूरी तरह तोड़ दिया। एलोपैथिक दवा ने निराश किया। लेकिन दिल के एक कोने में हौसला जिंदा रहा कि अदिती तुम अकेले नहीं हो। लड़ो और खुद इससे मुक्ति पाओ और दूसरे के लिए राह निकालो। फिर क्या संजीवनी देने वाले को किस्मत बना ली। नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) की दिशा में काम करने का मन बना लिया।

    स्टार्टअप के तौर पर श्री विधि नामक एक वेलनेस क्लीनिक का शुभारंभ किया। यह क्लीनिक विशेष रूप से दक्ष विशेषज्ञों के माध्यम से महिलाओं के लिए डाइट प्लान, किसी भी रोग के आयुर्वेदिक समाधान और मानसिक स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री के लोकल से ग्लोबल के सपने को साकार करने के साथ ही महिलाओं के लिए रोजगार के द्वार भी खोल रहा है। सीएम युवा उद्यमी योजना का मिला साथ: अदिती कहती हैं कि किसी भी रोजगार को शुरू करने से पहले पूंजी की आवश्यकता होती है। सीएम युवा उद्यमी योजना ने इसमें मदद की। बैंक से पांच लाख रुपये का ऋण मिला।

    इससे मुझे क्लीनिक को विस्तार देने में मदद मिली है। यह लोन युवा उद्यमियों के लिए बहुत ही लाभकारी है। ब्याज कम है। नियमित बकाया चुकाने पर पचास हजार रुपये की सब्सिडी भी है। मुख्यमंत्री ने हौसला बढ़ाया: मुख्यमंत्री योगी ने एमएसएमई दिवस 27 जून को मुझे लखनऊ में युवा उद्यमी योजना के अंतर्गत पांच लाख का चेक प्रदान किया। साथ ही मेरे कार्य की तारीफ करते हुए आगे बढ़ने का हौसला दिया। कहा कि आप नेचुरोपैथी को ग्लोबल करो। राजस्थान समेत अन्य राज्यों से आता कच्चा माल: नेचुरोपैथी पूरी तरह पूरी तरह प्राकृतिक प्रोडक्ट पर टिका है।

    इसके किसी भी प्रोडक्ट का साइड इफेक्ट नहीं है। सिर्फ कच्चे माल की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। अदिती कहती हैं कि राजस्थान समेत अन्य राज्यों से हम कच्चा माल मंगाते हैं। यह सब प्रमाणित सर्टिफिकेट के साथ आते हैं। जंगली बेरी, मोरिंग पाउडर, चुकंदर पाउडर समेत 38 प्रोडक्ट अभी मंगा रहे हैं। हालांकि 600 से अधिक प्रोडक्ट हैं।

    इसके अलावा सीड हम लोकल क्रय करते हैं। बीमारी अनुसार इस प्रोडक्ट को कैसे सेवन करना इसकी विधि विशेषज्ञ क्लीनिक पर बताते हैं। प्रोडक्ट की पैकेजिंग यहीं मशीन से करते हैं। जैसे ‘सीड क्लीनिक किट’ मासिक धर्म चक्र और हार्मोनल संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है। ऐसे तमाम उत्पाद हैं।

    उद्योग स्थापित कर लोकल से ग्लोबल की तैयारी

    कोई काम छोटा नहीं होता... अदिती का सपना नेचुरोपैथी को बनारस ब्रांड के जरिए देश दुनिया तक पहुंचाना। इसे उद्योग में कन्वर्ट करना है व महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ना है।

    अदिती की प्रोफाइल 

    महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से बीबीए,

    पटना आइआइटी से एमबीए 

    पिता-अखिलेश सिंह, बिजनेसमैन (जंगमबाड़ी में फर्नीचर का कारोबार)

    माता-गरिमा सिंह गृहिणी।

    1000 से अधिक को लाभ, दो दर्जन से अधिक महिलाओं के हाथ में काम

    अदिती कहती हैं कि हार्मोनल प्राबल्म से ग्रसित महिलाओं की संख्या बहुतायत है। कुछ बताती हैं, कुछ जूझती रहती हैं। क्लीनिक ने अब तक 1000 से अधिक महिलाओं को समस्या से मुक्ति दिलाने में सफल हुआ है। क्लीनिक के साथ ही मार्केटिंग में दो दर्जन से अधिक महिलाओं व पुरुषों को परोक्ष अपरोक्ष रूप से रोजगार भी दिया है।