Varanasi: देश के प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय की बेहद खराब स्थिति, 'हिंदू अध्ययन' कोर्स में महज एक आवेदन
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के एमए (हिंदू अध्ययन) में छात्रों की कमी है। वर्तमान सत्र में दाखिले के लिए महज एक अभ्यर्थी ने आवेदन किया है। ऐसे में वर्तमान सत्र में हिंदू अध्ययन कोर्स शुरू होने को लेकर संशय की स्थिति है। आश्चर्य यह है कि हिंदू अध्ययन कोर्स रोजगारपरक है। हिंदू धर्म के ज्ञाताओं की देश के साथ-साथ विदेश में भी मांग है।

अजय कृष्ण श्रीवास्तव, वाराणसी। वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के एमए (हिंदू अध्ययन) में छात्रों की कमी है। वर्तमान सत्र में दाखिले के लिए महज एक अभ्यर्थी ने आवेदन किया है। ऐसे में वर्तमान सत्र में हिंदू अध्ययन कोर्स शुरू होने को लेकर संशय की स्थिति है। आश्चर्य यह है कि हिंदू अध्ययन कोर्स रोजगारपरक है। हिंदू धर्म के ज्ञाताओं की देश के साथ-साथ विदेश में भी मांग है।
हिंदू अध्ययन में अध्यापक, कथा मर्मज्ञ, ज्योतिषाचार्य, कर्मकांड सहित अन्य क्षेत्रों में रोजगार की संभावना है। कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा का कहना है कि हिंदू अध्ययन कोर्स नया है। विश्वविद्यालय में अध्यापकों की कमी व कोर्स का प्रचार-प्रचार न होने से विद्यार्थी इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उन्हें इस कोर्स की महत्ता समझाने की जरूरत है ताकि वह आवेदन कर सकें।राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन कोर्स सत्र 2022-23 से शुरू किया गया है।
वहीं पिछले सत्र में एक भी आवेदन न होने के कारण यह कोर्स शुरू नहीं हो सका है। उस समय विश्वविद्यालय ने तर्क दिया था कि दिसंबर, 2022 में आवेदन मांगे गए थे। उस समय ज्यादातर विद्यार्थी किसी न किसी संस्था में दाखिला ले चुके थे। वहीं वर्तमान सत्र में दाखिले का आवेदन तीन जुलाई से ऑनलाइन है।
आवेदन की अंतिम तिथि सात सितंबर भी बीत गई। इसके बावजूद आवेदकों की संख्या एक से अधिक नहीं बढ़ सकी। सांख्य योग तंत्रागम विभाग के अध्यक्ष व पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. राघवेंद्रजी दुबे ने स्वीकार किया कि एक छात्र संग कोर्स शुरू करना संभव नहीं है। प्रवेश समिति की बैठक में विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा।
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