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    वाराणसी में स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों का घोटाला, अकाउंटेंट और बैंक अधिकारी भाई पर गंभीर आरोप

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 03:48 PM (IST)

    वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। ट्रस्ट के सदस्य सुरेंद्र यादव की शिकायत पर चौबेपुर पुलिस ने दो भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि ट्रस्ट के अकाउंटेंट और उसके बैंक अधिकारी भाई ने दान की राशि में गबन किया।

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    जांच में फर्जी बैंक रसीदें मिलीं और बैंक प्रबंधन ने मुहर व हस्ताक्षर को नकली बताया।

    जागरण संवाददाता, (चौबेपुर) वाराणसी। आस्था के केंद्र स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट, उमरहा से जुड़ा एक बड़ा आर्थिक घोटाला उजागर हुआ है। चौबेपुर पुलिस ने ट्रस्ट के सदस्य सुरेंद्र यादव की तहरीर पर दो सगे भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। ट्रस्ट की दानराशि में करोड़ों रुपये के गबन का आरोप ट्रस्ट के अकाउंटेंट और उसके बैंक अधिकारी भाई पर लगा है। मामले के सामने आने के बाद ट्रस्ट में हड़कंप मच गया है।

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    ट्रस्ट सदस्य सुरेंद्र यादव, जो स्व. धनराज यादव के पुत्र हैं और स्वर्वेद महामंदिर धाम, उमरहा के निवासी हैं, ने थाना चौबेपुर में दी गई तहरीर में बताया कि विवेक कुमार, जो मेहदावल (जनपद सन्तकबीरनगर) का निवासी है, सितंबर 2019 से ट्रस्ट में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत था। विवेक ने इससे पहले झूसी और अन्य स्थानों पर भी अकाउंटेंट का काम किया था। वह लंबे समय से श्रद्धालुओं से प्राप्त दानराशि को बैंक में जमा करने का कार्य देखता था।

    23 सितंबर 2025 को विवेक को चंदे की राशि ₹20,000 जमा करने के लिए भेजा गया था। कुछ ही देर बाद उसने HDFC बैंक लहुराबीर शाखा की मुहर और हस्ताक्षरयुक्त पर्ची जमा की। लेकिन जब बैंक से पुष्टि कराई गई, तो पता चला कि पैसा ट्रस्ट खाते में जमा नहीं किया गया था। इस पर संदेह बढ़ने पर पुराने दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें सभी बैंक रसीदें फर्जी निकलीं। बैंक प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि उन रसीदों पर लगी मुहर और हस्ताक्षर नकली हैं।

    जांच में खुलासा हुआ कि विवेक का भाई अभिषेक कुमार, जो HDFC बैंक वाराणसी शाखा में क्रेडिट मैनेजर (C.A.) के पद पर कार्यरत है, भी इस पूरे गबन कांड में शामिल था। बताया जा रहा है कि दोनों भाई स्वर्वेद महामंदिर परिसर में ही आवास लेकर रहते थे और मिलकर श्रद्धालुओं की दानराशि को हड़पते रहे। HDFC बैंक के चीफ मैनेजर वैभव त्रिपाठी ने बताया कि आरोपियों ने बैंक कर्मचारियों को रिश्वत देने की भी कोशिश की थी, जिसका प्रमाण बैंक सर्वर में सुरक्षित है।

    मामला खुलने के बाद अभिषेक कुमार अचानक आवास से फरार हो गया। बताया जा रहा है कि सबूत मिटाने के लिए दोनों भाइयों ने अपने मोबाइल फोन को गूगल के माध्यम से फॉर्मेट कर डाला। ट्रस्ट प्रबंधन द्वारा अब तक की जांच में करोड़ों रुपये की गबन की आशंका जताई गई है। इस पूरे मामले में कुछ अन्य लोगों की संलिप्तता की भी संभावना है।

    ट्रस्ट द्वारा फर्जी बैंक स्लिप, बैंक को भेजे गए पत्र और आरोपियों के पहचान पत्र की प्रतियां पुलिस को सौंपी गई हैं। थाना प्रभारी चौबेपुर अजीत कुमार वर्मा ने बताया कि तहरीर के आधार पर दो लोगों पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

    इस घोटाले ने ट्रस्ट के सदस्यों और श्रद्धालुओं के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। ट्रस्ट की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए पुलिस और ट्रस्ट प्रबंधन दोनों ही इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या आरोपी जल्द ही पुलिस के हाथ लगते हैं या यह मामला और जटिल होता है।