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    वाराणसी में अगले साल से चलेगा रोपवे, यूरोपियन स्टैंडर्ड के सुरक्षा उपकरणों का हो रहा प्रयोग

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 03:00 PM (IST)

    वाराणसी में शहरी परिवहन के लिए बन रहे रोपवे को दैवीय आपदाओं से सुरक्षित बनाया गया है। तेज हवा या बिजली गिरने पर गंडोला धीमा हो जाएगा और बिजली जाने पर भी यह नजदीकी स्टेशन तक पहुंचेगा। विकास प्राधिकरण के अनुसार रोपवे का किराया कम होगा और स्टेशनों पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू की जाएंगी।

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    यूरोपियन स्टैंडर्ड के सुरक्षा उपकरण लगाए जा रहे हैं और इमरजेंसी के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। देश में पहली बार अर्बन ट्रांसपोर्ट के लिए चलने वाले रोप-वे को दैवीय आपदा के दृष्टिकोण से अत्यधिक सुरक्षित माना जा रहा है। तेज हवा या बिजली कड़कने की स्थिति में गंडोला अपने आप धीमा हो जाएगा।

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    यदि बिजली आपूर्ति बंद हो जाती है, तो गंडोला रास्ते में नहीं रुकेगा, बल्कि अपने नजदीकी स्टेशन पर पहुंच जाएगा। गंडोला एक बार बंद होने पर अंदर से नहीं खुलेगा। यह जानकारी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग और एनएचएनएमएल की प्रोजेक्ट निदेशक पूजा मिश्रा ने साझा की।

    विकास प्राधिकरण सभागार में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में दोनों अधिकारियों ने बताया कि यह रोप-वे पहाड़ी इलाकों में चल रहे रोप-वे से भिन्न और अत्याधुनिक है। रोपवे का किराया भी काफी कम होगा, जिसके लिए आर्थिक विकास मॉडल की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

    सभी स्टेशनों पर व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत की जाएगी, जिसमें चारों स्टेशनों पर दो लाख व्यावसायिक गतिविधियां शुरू की जाएंगी। बजट होटल का निर्माण भी किया जाएगा, और दुकानों तथा होटलों के लिए पहले से ही काफी डिमांड आ रही है। इनका आवंटन नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।

    एनएचएलएमएल के अधिकारियों ने बताया कि रोपवे प्रोजेक्ट के अंतर्गत यूरोपियन स्टैंडर्ड के सुरक्षा उपकरण लगाए जा रहे हैं। इमरजेंसी स्थितियों की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम का निर्माण किया जा रहा है। गंडोला कब खुलेगा और कब बंद होगा, यह सब कंट्रोल रूम से नियंत्रित किया जाएगा।

    बिजली जाने की स्थिति में जनरेटर का उपयोग किया जाएगा, और यदि जनरेटर भी काम नहीं करता है, तो आंतरिक बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। गंडोला स्वयं पास के स्टेशन पर पहुंच जाएगा।

    उपाध्यक्ष ने बताया कि रात में भी गंडोला चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत सबसे बड़ा टावर 160 फीट का बनाया जाएगा, जो सिगरा स्थित सुविधा साड़ी केंद्र के पास होगा। कार्यदायी एजेंसी को 15 वर्ष तक संचालन के लिए अनुबंधित किया गया है।

    रोपवे कॉरिडोर 16 मीटर का होगा, जिसमें किनारे आठ-आठ मीटर के दायरे में निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा। किनारे बनने वाले भवन की ऊंचाई अधिकतम 10 मीटर होगी। गंडोला के अंदर वातानुकूलित सुविधाएं और गर्मी से बचाव के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। नए कॉरिडोर के लिए सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है और फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। परियोजना का लोकार्पण वर्ष के अंत में संभावित है।

    गौरतलब है कि कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक लगभग 3.8 किमी लंबी रोपवे परियोजना पर कार्य चल रहा है, जो अंतिम चरण में है। पूरे प्रोजेक्ट पर 815.58 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके अंतर्गत कैंट स्टेशन, भारत माता मंदिर परिसर, रथयात्रा और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाए जा रहे हैं। गिरिजाघर चौराहे पर टर्मिनल स्टेशन का निर्माण भी किया जा रहा है।