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    यूपी की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल, Black Rice से पोषक उत्पाद बनाएंगी, 'इरी' देगा प्रशिक्षण

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 11:55 PM (IST)

    वाराणसी में ग्रामीण महिलाएं अब ब्लैक राइस से स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद बनाएंगी। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) उन्हें तकनीकी सहयोग देगा। महिलाओं को न्यूट्री बार नूडल्स जैसे उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण मिलेगा। उन्हें पैकेजिंग और मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। साईं इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट के अनुसार 3000 से अधिक महिलाएं पहले से ही प्रशिक्षित हैं। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।

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    इरी की तकनीक से महिलाओं को संबल, ब्लैक राइस से बनाएंगी पोषक उत्पाद।

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। स्वस्थ जीवनशैली और पोषण की दिशा में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। ग्रामीण महिलाएं अब ब्लैक राइस से आधुनिक तकनीक और नवाचार को जोड़कर स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार करेंगी। उन्हें अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र से तकनीकी सहयोग मिलेगा।

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    इसके लिए इरी व साईं इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट के बीच करार हुआ है। इरी की ओर से महिलाओं को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण माड्यूल और उत्पाद को बनाने की विशेषज्ञता प्रदान की जाएगी। महिलाओं को ब्लैक राइस और अन्य चावल उत्पादों से वैल्यू एडेड हेल्दी फूड प्रोडक्ट्स जैसे न्यूट्री बार, नूडल्स, हेल्दी स्नैक्स, कुकीज, इंस्टेंट डाइट मिक्स आदि बनाने का प्रशिक्षण मिलेगा।

    उन्हें पैकेजिंग, ब्रांडिंग और डिजिटल मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि न केवल अच्छा उत्पाद बनाएं, बाजार में अपनी पहचान भी स्थापित कर सकें। 15 अगस्त से महिलाओं को ब्राउन राइस और ब्लैक राइस से हेल्दी फूड प्रोडक्ट्स जैसे कुकीज, पोहा, खिचड़ी मिक्स आदि के प्रशिक्षण द्वारा स्वावलंबी बनाने का कार्य प्रारंभ होगा।

    साईं इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट के निदेशक अजय सिंह बताते हैं कि उनकी संस्थान से जुड़कर अभी तक लगभग 3,000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं प्रशिक्षित होकर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हो चुकी हैं। महिलाओं को इंब्रायडरी और पुराने वस्तुओं से उपयोगी उत्पाद बनाने की कला सिखाई गई।

    साथ ही मंदिरों पर चढ़ाए गए फूलों से नेचुरल अगरबत्ती, धूप कोन, स्टिक और हवन कप जैसे उत्पाद भी तैयार कर रही हैं। अब इरी सार्क के तकनीकी सहयोग से एक नई दिशा में कदम बढ़ा है। बताया कि संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं के कार्य का व्यापक प्रभाव जी-20 सम्मेलन एवं आगामी महाकुंभ के दौरान देखने को मिला, जब बनारस की महिलाओं द्वारा निर्मित अंगवस्त्रों की विशेष डिमांड रही।

    इसके अतिरिक्त पेपर क्राफ्ट के जरिए तैयार किए गए आकर्षक बुके, बनारस के विभिन्न सरकारी व सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी पहचान बना चुके हैं।

    ब्लैक राइस में पाए जाने वाले उच्च पोषण तत्व

    एंटीआक्सीडेंट, फाइबर, आयरन और विटामिन्स आज की तेजी से बदलती जीवनशैली में अत्यंत उपयोगी हैं। इनसे बने उत्पाद न केवल सेहत के लिए लाभकारी हैं, बल्कि बाजार में इनकी मांग भी लगातार बढ़ रही है। यह पहल स्वास्थ्य और आर्थिक स्वावलंबन दोनों के बीच एक सेतु बनकर उभर रही है। ये सारे तत्व ब्लैक राइस में हैं।

    खोली धूप बनाने की कंपनी, खुशियों से महकी जिंदगी

    साईं संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भोजूबीर निवासी सरिता श्रीवास्तव ने मीना मौर्या, पूनम देवी, आशा देवी, वंदना मौर्या के साथ मिलकर दयांत ट्रेनिंग कंपनी शुरू की है। इसके तहत काशी धूप स्टिक, धूप कप का उत्पादन कर रहे हैं। इसमें से प्रत्येक महिलाएं प्रति माह 12 से 15 हजार रुपये शुद्ध लाभ कमा रही हैं।

    बताया कि इरी से प्रशिक्षण के बाद कारोबार में और बढ़ावा मिलेगा। फैशन डिजाइन व डिजिटल इंडिया को बनाया प्लेटफार्म इसी संस्थान से जुड़ीं रघुनाथपुर बाबतपुर निवासी अनुपमा दुबे ने फैशन डिजाइन एवं डिजिटल इंडिया को प्लेटफार्म बनाया है।

    अनुपमा अन्य सैकड़ों महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर चुकी हैं। इसके लिए उन्हें जुलाई 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से व सितंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। अब इरी जैसे बड़े संस्थान से जुड़ना स्टार्टअप को और बढ़ावा देगा।