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    विश्वकर्मा पूजा की तारीख में होने जा रहा बड़ा बदलाव! 6 सालों बाद इस तारीख को मनाई जाएगी जयंती; क्या है वजह?

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 06:20 AM (IST)

    भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है लेकिन वास्तव में यह कन्या संक्रांति पर मनाई जाती है। दशकों से कन्या संक्रांति 17 सितंबर के आसपास पड़ती आ रही है। ज्योतिषियों के अनुसार अगले छह वर्षों में यह उत्सव 18 सितंबर को मनाया जाएगा। बीएचयू के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि यह पर्व सौर मान के अनुसार मनाया जाता है।

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    छह वर्ष बाद 18 सितंबर को मनाई जाएगी विश्वकर्मा जयंती।

    शैलेश अस्थाना, वाराणसी। सृष्टि के आदिशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती प्रतिवर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है। एक हिंदू पौराणिक देवता की जयंती ग्रैगेरियन कैलेंडर की निश्चित तिथि पर मनाया जाना सनातन धर्मावलंबियों के मन में कौतूहल उत्पन्न करता है।

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    वास्तव में भगवान विश्वकर्मा जयंती व पूजनोत्सव 17 सितंबर के बजाय कन्या संक्रांति में मनाया जाता है। चूंकि दशकों से कन्या संक्रांति 17 सितंबर के आसपास पड़ती आ रही है, इसलिए पारंपरिक रूप से यह उत्सव 17 सितंबर को मनाया जाता है।

    ज्योतिर्विदों का कहना है कि अगले छह वर्ष बाद स्थिति में परिवर्तन आएगा और यह उत्सव 17-18 सितंबर के मध्य होते-होते-होते 18 सितंबर को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाानकों के अनुसार प्रजापिता ब्रह्मा के पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जिस समय प्राकट्य हुआ, सूर्य सिंह से कन्या राशि में प्रवेश कर रहे थे यानी कन्या संक्रांति लग गई थी।

    बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती सौर मान के अनुसार मनाया जाने वाला पर्व है। इसके बारे में ठीक-ठीक वर्णन तो धर्मशास्त्रों में नहीं मिलता किंतु विद्वत श्रुति के अनुसार कन्या संक्रांति के आसन्न इनकी जयंती परंपरानुसार मनाते चले आ रहे हैं। सूर्य सभी राशियों में संचरण करते रहते हैं।

    कर राशि में प्रवेश पर मकर संक्रांति, मेष में प्रवेश पर मेष संक्रांति होती है, उसी तरह कन्या राशि में प्रवेश पर कन्या संक्रांति लगती है। प्रो. पांडेय बताते हैं कि 1981 से कन्या संक्रांति 17 सितंबर को पड़ती आ रही है। इस बीच में पिछले वर्षों में कभी-कभी 16 सितंबर को भी कन्या संक्रांति पड़ी लेकिन पारंपरिक रूप से पर्व 17 सितंबर में ही मनाया गया।

    सूर्य की राशि स्थिति में तिथि परिवर्तन लगभग 72 वर्षों बाद होता है। यह अवधि पूर्ण हो जाने पर कुछ वर्षों पश्चात एक समय ऐसा आएगा, जब कन्या संक्रांति 18 सितंबर को पड़ने लगेगी तो विश्वकर्मा जयंती की तिथि भी बदल जाएगी।

    पिछले वर्षों में देखा जाए तो 1980 के आसपास कन्या संक्रांति 16 सितंबर को पड़ती थी। फिर बाद के दिनों में 17 सितंबर को पड़ने लगी। कभी-कभी यह 16 और 17 के मध्य भी पड़ी। अब 2031 से यह 17-18 के मध्य होने लगेगी और फिर कुछ वर्षों बाद 18 सितंबर को पड़ने लगेगी। वर्ष 2100 के आस-पास कन्या संक्रांति 18-19 सितंबर को पड़ने लगेगी।