Varanasi News: काशी में लहलहाएगा तेलंगाना सोना धान, 135 दिन में 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज
तेलंगाना की उन्नत धान किस्म तेलंगाना सोना आरएनआर 15048 अब काशी में भी उगाई जाएगी। यह धान की महीन किस्म है जिसका चावल मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त है और वजन घटाने में भी मदद करता है। इसकी उपज 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी और यह 135-140 दिनों में तैयार होगा। राजकीय कृषि बीज भंडार पर 50% अनुदान मूल्य पर उपलब्ध होगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। तेलंगाना में बोए जाने वाले धान की उन्नत किस्म तेलंगाना सोना आरएनआर 15048 इस बार काशी के किसानों के खेतों में लहराकर उत्तर और दक्षिण भारत की एकता का परिचायक बनेगा।
धान की यह किस्म महीन चावल की है। इसका चावल मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त है तथा कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण इसका चावल वजन घटाने में भी मदद करता है। तेलंगाना में यह 120-25 दिनों की अवधि में पक कर तैयार हो जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) के विज्ञानियों का कहना है कि पूर्वांचल के वातावरण में यह 135 से 140 दिनों में तैयार होगा।
इसकी उपज 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। इसके साथ ही प्रबल रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली धान की अन्य उत्तम किस्मों के बीज तीन से चार दिनों के अंदर पहुंच जाएंगे जो किसानों को पीओएस मशीन से बायोमेट्रिक प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान मूल्य पर प्रदान किए जाएंगे।
धान बीज के विक्रय मूल्य 4480 रुपये प्रति कुंतल से लेकर 6138 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं। अनुदान काट कर केवल कृषक अंश की धनराशि ही किसानों को जमा करनी होगी।
जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने बताया कि किसान भाई अपने विकास खंड के राजकीय कृषि बीज भंडार पर आधार कार्ड के साथ स्वयं उपस्थित होकर उच्च गुणवत्ता का बीज प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आरएनआर तेलंगाना सोना के अतिरिक्त राजकीय बीज भंडारों पर एचयूआर 917 ( परिपक्वता अवधि 140 से 145 दिन, उत्पादन क्षमता 55 से 60 क्विं/हे.), एसएचआइएटीएस-1 (परिपक्वता अवधि 120 से 125 दिन, उत्पादन क्षमता 38 से 40 क्विं/हे.), एसएचआइएटीएस-4 ( परिपक्वता अवधि 130 से 135 दिन, उत्पादन क्षमता 55 से 58 क्विं./हे.) के बीज भी उपलब्ध रहेंगे।
इन सभी प्रजातियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक है। पूर्व के वर्षो में भी इनकी उत्पादन क्षमता काफी अच्छी रही है।
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि इन बीजों के प्रयोग से लागत में कमी होगी तथा उत्पादन ज्यादा प्राप्त होगा, जिससे सरकार की मंशानुरूप किसान भाइयों की आय में वृद्धि होगी। समस्त बीज नियमानुसार पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर वितरित किए जाएंगे।
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