पूर्वांचल में इंद्रदेव के कोप से 'जलकर' नहीं बल्कि 'गलकर' मरा रावण, मुश्किल से ही कहीं जल सका रावण
वाराणसी और पूर्वांचल में भारी बारिश के कारण रावण दहन में कई बाधाएं आईं। कई स्थानों पर रावण के पुतले भीग गए जिससे उन्हें जलाने में कठिनाई हुई जबकि कुछ जगहों पर आंधी और बारिश के कारण पुतले गिर गए। सोनभद्र बलिया में भी बारिश से रावण दहन प्रभावित हुआ।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। देवराज इंद्र के कोप से इस बार जलकर नहीं बल्कि कई जगहों पर गलकर रावण का अंत हुआ। भारी बारिश के कारण रावण कई जगहों पर जलने के लायक नहीं बचा तो कहीं भारी बारिश के बीच रावण आधा अधूरा ही जल सका। जबकि पूर्वांचल में कई जगहों पर मौसम का मिजाज भांप कर आयोजकों ने पहले ही रावण की लंका लगा दी।
कई जगहों पर रावण तेज आंधी और बारिश की वजह से गल गया तो कहीं पर प्रतीकात्मक की रावण के हिस्से दहन आया। सोनभद्र में विजयदशमी पर बारिश होने की वजह से कुछ जगहों पर रावण के पुतले को जलाने में दिक्कत आई। पुतले के भींग जाने से निर्धारित समय से दो से तीन घंटे बाद रावण जल पाया। यह हाल बनारस ही नहीं समूचे पूर्वांचल में कई जगह नजर आया।
ओबरा के रामलीला मैदान मुख्य बाजार में रावण दहन के दौरान तेज बारिश होने के कारण एक बारगी लगा कि रावण दहन हो पाना मुश्किल है। मौके पर मौजूद हजारों की भीड़ बारिश तेज होने से इधर उधर हो गयी। कई श्रद्धालु बारिश में भीगने का कारण अपने घरों को लौट गए।
लेकिन बारिश होने पर रामलीला मंचन के दौरान चलने वाला राम रावण युद्ध नहीं रुका। उद्घोषकों ने रावण दहन देखने आये दर्शकों से अपने स्थानों पर खड़े रहने की अपील की। कई दर्शक भारी बारिश के बाद भी रावण दहन देखने के डटे रहे।
कुछ देर बाद बारिश की रफ्तार पहले से काफी कम हो गयी, तब जाकर रामलीला समिति मेन बाजार ने रावण दहन का कार्यक्रम सपन्न कराया गया। डाला में गुरुवार शाम को जब राम व रावण के बीच युद्ध के समय अचानक बारिश होने लगी। बारिश के दौरान ही रावण के पुतले को आग के हवाले किया गया। जिसके कारण रावण के पुतले का आधा भाग ही जल पाया।
बारिश बंद होने के बाद काफी प्रयास कर रावण के पुतले को गिराकर उसे जलाया गया, तब भी पूरा नहीं जल सका। सांगोबाध क्षेत्र में बारिश के कारण बैना गांव में रात करीब साढ़े ग्यारह रावण दहन का कार्यक्रम हुआ।
बलिया में बलिया में दशहरा उत्सव के दौरान बारिश ने रावण दहन के आयोजन में मुश्किलें खड़ी कर दीं। शहर के विभिन्न रामलीला मैदानों में रावण के पुतले बनाए गए थे, जिन्हें जलाने के लिए विशेष तैयारियां की गई थीं। लेकिन बारिश के कारण रावण दहन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। बारिश के कारण रावण के पुतले भीग गए और उन्हें जलाने में परेशानी हुई। कई जगहों पर रावण के पुतले गिर गए, कई लोगों की मदद से उठाकर जलाया गया।
बैरिया के इब्राहिमाबाद नौबरार में सर्वाधिक दिक्कत हुई। रसड़ा में 51 फीट के रावण का पुतला दहन किया गया। राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा, महामंडलेश्वर कौशलेंद्र गिरि सहित रामलीला कमेटी के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
बलिया जनपद में 33 स्थानों पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। बारिश से दशहरा मेले में दुकान लगाए दुकानदारों की बिक्री भी प्रभावित हुई। शाम के समय पांच बजे से ही मौसम बदल गया था और 5:30 बजे से बारिश शुरू हो गई। कई स्थानों पर गदका और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रभावित हुए।
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