Varanasi News: एक करोड़ की लागत से सारनाथ में बनाया जाएगा ओपन थियेटर, डिजाइन तैयार
सारनाथ भ्रमण करने आए बौद्ध अनुयायियों समाजसेवी संस्थाओं विद्यालयों और विभागों को परिचर्चा या सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि के आयोजन के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। पुरातात्विक खंडहर परिसर में धरोहरों पर बैठकर या उसके आसपास खड़े होकर चर्चा कर रहे बौद्ध अनुयायियों के दृश्य भी अब नहीं दिखाई पड़ेंगे। दरअसल रोक के बावजूद कई देशों से आने वाले बौद्ध अनुयायी धरोहरों के आसपास शांति-पाठ या पूजा करते हैं।

जेपी पांडेय, वाराणसी: सारनाथ भ्रमण करने आए बौद्ध अनुयायियों, समाजसेवी संस्थाओं, विद्यालयों और विभागों को परिचर्चा या सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि के आयोजन के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा।
पुरातात्विक खंडहर परिसर में धरोहरों पर बैठकर या उसके आसपास खड़े होकर चर्चा कर रहे बौद्ध अनुयायियों के दृश्य भी अब नहीं दिखाई पड़ेंगे। दरअसल, रोक के बावजूद कई देशों से आने वाले बौद्ध अनुयायी धरोहरों के आसपास शांति-पाठ या पूजा करते हैं।
इन परेशानियों को देखते हुए संग्रहालय के सामने पार्क की जमीन पर 300 लोगों की क्षमता का ओपन थियेटर बनाने की योजना है। इसकी लागत एक करोड़ रुपये होगी। सारनाथ में प्रो पुअर पर्यटन विकास योजना से चल रहे विकास कार्य में ओपन थियेटर को भी शामिल किया गया है। इसकी डिजाइन भी तैयार कर ली गई है।
भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ, बौद्ध अनुयायियों के प्रमुख तीर्थस्थलों में है। यहां बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं। विशेष रूप से विदेशी पर्यटक धर्मराजिका स्तूप, प्राचीन मूलगंध कुटी विहार समेत अन्य पुरातात्विक अवशेषों पर बैठकर शांति पाठ और पूजा करते हैं।
धर्म संबंधी चर्चा करने के साथ संदेश भी देते हैं। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के मना करने के बावजूद वे नहीं मानते हैं। इसे लेकर कई बार विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। वहीं, समाजसेवी संस्थाओं, विद्यालयों और संबंधित विभाग की ओर से विविध कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते है।
पार्क से हटे रेस्तरां तो बढ़े ओपेन थियेटर का काम
पुरातत्व संग्रहालय के सामने पार्क में एक रेस्तरां संचालित हो रहा है। उसे हटाने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण और कार्यदायी संस्था ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखकर जमीन खाली करने का अनुरोध किया है।
कार्यदायी संस्था केके कंट्रक्शन ने भी विभागीय अधिकारियों से मिलकर रेस्तरां को हटाने की मांग की है, ताकि जल्द से जल्द काम शुरू किया जा सके। ओपन थियेटर का वास्तु बौद्धकला पर आधारित होगा और उसमें भगवान बुद्ध के जीवन को प्रदर्शित करतीं कलाकृतियां बनाई जाएंगी। साथ ही उनके संदेश भी लिखे होंगे।

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