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    श्रीकाशी विद्वत परिषद ने दिया निर्णय, दीपावली 20 अक्‍टूबर काे ही मनेगी, वजह भी स्‍पष्‍ट कर दी

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 10:47 AM (IST)

    काशी विद्वत परिषद ने निर्णय लिया है कि दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कुछ पंचांगों में 21 अक्टूबर की तिथि दिए जाने से भ्रम था जिसे दूर किया गया। परिषद ने शास्त्र के अनुसार 20 अक्टूबर को ही पूर्ण प्रदोष काल व्यापिनी तिथि होने के कारण यह निर्णय लिया।

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    विद्वानों ने धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों का पालन करते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस बार दीपावली की त‍िथ‍ि को लेकर उपजे व‍िवाद के बीच काशी के व‍िद्वानों ने ज्‍योत‍िषीय गणना के जर‍िए त‍िथ‍ि का न‍िर्धारण क‍िया है। स्‍पष्‍ट तौर पर वजहों को भी बताते हुए आगामी 20 अक्‍टूबर की त‍िथ‍ि को ही दीपावली के ल‍िए शुभ मुहूर्त के तौर पर मान्‍य क‍िया है। हालांक‍ि सेबी की ओर से दीपावली का मुहूर्त ट्रेड‍िंंग 21 अक्‍टूबर को रखा गया है, ज‍िसकी वजह से न‍िवेशकों के बीच भी असमंजश की स्‍थ‍ित‍ि है। 

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    कुछ अपरिपक्व लोगों द्वारा कुछ पंचांगों में दीपावली की तिथि 21 अक्टूबर भी दर्शा दिए जाने के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसे में श्रीकाशी विद्वत परिषद के धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष प्रकोष्ठ की आनलाइन बैठक शनिवार को परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में हुई।

    इसमें दीपावली पर विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए शास्त्र के आलोक में धर्मशास्त्रीय व्यवस्था के अनुरूप 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया। क्योंकि पूर्ण प्रदोष काल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है तथा 21 अक्टूबर को तीन प्रहर से अधिक अमावस्या और साढ़े तीन प्रहर से अधिक वृद्धि गामिनी प्रतिपदा के होते हुए भी उक्त व्रत के पारण का काल प्राप्त नहीं हो रहा है जो की दीपावली प्रयुक्त लक्ष्मी पूजन का एक आवश्यक अंग है।

    इसलिए विभित्र धर्म शास्त्रीय सिद्धांतों का अनुशीलन करते हुए सर्वसम्मति से 20 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली पर्व मनाने का निर्णय दिया गया। बैठक में प्रो. विनय कुमार पांडेय ने संबंधित सभी विषयों सहित शास्त्र के सभी पक्षों को उपस्थापित किया जिस पर परिषद के सदस्यों द्वारा सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया। सभा का संयोजन एवं विषय प्रवर्तन महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने की।

    बैठक में अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. भगवत शरण शुक्ल, प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय, डा. सुभाष पांडेय, पंचांगकर अमित कुमार आदि धर्मशास्त्र ज्योतिष के विद्वान उपस्थित थे।