Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अशुभ फलों में कमी और शुभ फलों में वृद्धि का माह, संकल्पों की डुबकी संग जानें कार्तिक मास के व‍िधान

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 12:39 PM (IST)

    कार्तिक मास जो भगवान श्रीहरि को समर्पित है मंगलवार से शुरू हो गया। इस मास में स्नान-दान यम-नियम का पालन किया जाता है। श्रद्धालुओं ने सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लिया। मंदिरों और तुलसी के चौरा पर दीपदान किया गया। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार गंगा स्नान तुलसी पूजन और दीपदान का विशेष महत्व है।

    Hero Image
    कार्त‍िक मास भर देव कृपा प्राप्‍त करने का अवसर रहता है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। श्रीहरि को प्रिय श्रीसमृद्धि कामना को समर्पित दिव्य कार्तिक मास का आरंभ मंगलवार को प्रातः 9.34 बजे से हो चुका है। उदयातिथि अनुसार इसका मान आठ अक्टूबर से होगा। मास के स्नान-दान, यम-नियम-संयम विधान आश्विन पूर्णिमा तिथि में मंगलवार प्रात: प्रारंभ हो गए जो कार्तिक पूर्णिमा पांच नवंबर तक चलेगा। इस पूरे मास देव योग के साथ ही देव कृपा प्राप्‍त करने का खूब अवसर रहता है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दौरान मास के प्रारंभ में तिथि विशेष पर सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त हो श्रद्धालुओं ने हाथ में जल, अक्षत, पुष्पादि लेकर भगवान श्रीहरि के प्रसन्नार्थ संपूर्ण कार्तिक मास व्रत, नियम, स्नान-दान का संकल्प लिया। यथा शक्ति-सामर्थ्य भगवान विष्णु, माता तुलसी जी का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन किया और व्रत के साथ निर्धन-असहाय को दान दिया। रात्रि में मंदिरों, चौराहों, गलियों, तुलसी के चौरा समेत स्थानों पर दीपदान किया। यह क्रम पूरे कार्तिक माह चलेगा।

    ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि संपूर्ण कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि का पूजन, सूर्योदय पूर्व गंगा, पवित्र नदी या बावली-कुआं पर स्नान, तुलसी पूजन व दीपदान का विधान है। मदन पारिजात के अनुसार कार्तिक मास में जितेंद्रिय होकर नित्य स्नान कर हविष्य (जौ, गेहूं, मूंग तथा दूध-दही, घी आदि) का एक बार भोजन करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति संग जीवन की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

    उत्सवों का मास: प्रो. ऋषि द्विवेदी के अनुसार कार्तिक मास स्नान-दान की महत्ता के साथ पर्व-उत्सवों के लिए भी विशेष होता है। इसी मास में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, अन्नकूट, भइया दूज, सूर्य षष्ठी (डाला छठ), गोपाष्टमी, अक्षय नवमी, देवोत्थान एकादशी और अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली होती है। इस बार कार्तिक मास का आरंभ आठ अक्टूबर से हो रहा है। समापन पांच नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा को होगा।

    ज्योतिष शास्त्र में देव गुरु बृहस्पति को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति अनिष्टकारी हों या इनकी अशुभ दशा चल रही हो, उन्हें बृहस्पति जनित दान व कार्तिक मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, भगवान विष्णु का पूजन व उनके मंत्रों का जपादि करने से देव गुरु प्रसन्न होकर अशुभ फलों में कमी तथा शुभ फलों में वृद्धि करते हैं। इस मास में श्रीहरि के नाम पूजन और तुलसी के चौरा पर दीपदान का विशेष महत्व है।