Varanasi Gyanvapi Case : झारखंड के पर्यावरणविद ने की ज्ञानवापी मस्जिद हटाकर मंदिर बनाने की मांग
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां श्रृगांर गौरी भगवान गणेश हनुमान समेत दृश्य व अदृश्य देवी के नियमित दर्शन-पूजन सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए वहां बने मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाया जाए। वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी प्रकरण में एक और प्रार्थना पत्र गुरुवार को अदालत में दाखिल किया गया। झारखंड के धुर्वा के रहने वाले पर्यावरणविद प्रभु नारायण की ओर से दाखिल प्रार्थनापत्र में मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान समेत अन्य देवी-देवताओं के नियिमत दर्शन-पूजन, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए वहां बनी मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाया जाए। वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।
प्रभु नारायण की ओर से उनके वकील अनुपम द्विवेदी, अजय वीर पुंडीर, नवीन कुमार निश्चल ने प्रार्थनापत्र सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में दाखिल किया। उनके उपस्थित नहीं होने से सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में इस पर सुनवाई हुई। वकील अनुपम द्विवेदी ने अदालत से कहा कि मांगों का वैज्ञानिक तथ्य भी है।
आदि विश्वेश्वर के उत्तर वाहिनी गंगा के निकट विराजमान होने से आक्सीजन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है
बताया गया है कि आदि विश्वेश्वर के उत्तर वाहिनी गंगा के निकट विराजमान होने की वजह है कि इसमें आक्सीजन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। वहीं, ज्योर्तिलिंग कास्मिक किरणों से जुड़ा होता है। इस जल को शिवलिंग पर चढ़ाने से सेहत के साथ पर्यावरण संतुलित रहता है। तर्क दिया है कि नंदी के होने से स्पष्ट है कि मुख्य मंदिर का शिवलिंग उसके सामने ही होगा।
शिवलिंग से निकलने वाले कास्मिक किरणों को नंदी ही संभालती हैं
वैज्ञानिक आधार पर कहा जा सकता है कि शिवलिंग से निकलने वाले कास्मिक किरणों को नंदी ही संभालती हैं। इसलिए उन्हें शिवलिंग के पास स्थापित किया जाता है। मुख्य मंदिर ज्ञान व शक्ति का प्रमुख केंद्र है इसलिए इसका पुर्ननिमार्ण आवश्यक है। वादी पक्ष की ओर से मुकदमे को अरजेंसी बताया गया है। अदालत के पूछने पर बताया कि नियमित पूजा-पाठ मौलिक अधिकार है। ऐसा नहीं होना इसका हनन है। इस मामले में अदालत के आदेश का इंतजार है।