Exclusive: हरिद्वार से बलिया तक पहली बार निर्धारित होगा गंगा का 'फ्लड जोन', बाढ़ से बचाव के लिए नई पहल
एनजीटी की निगरानी में राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की ने गंगा किनारे बाढ़ क्षेत्रों का निर्धारण किया है। ड्रोन और आधुनिक उपकरणों से सर्वेक्षण किया गया। सिंचाई विभाग चिह्नित क्षेत्रों में खंभे और बोर्ड लगाएगा। पूर्वांचल में बाढ़ से हर साल तबाही होती है जिससे लोग पलायन करते हैं। बाढ़ क्षेत्र निर्धारण से अवैध निर्माण रुकेगा और प्रशासन तैयारी कर सकेगा।

जलशक्ति मंत्रालय ने हरिद्वार से बलिया तक पहली बार सुव्यवस्थित तरीके से फ्लड जोन निर्धारित करने के आदेश हुए हैं। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की उत्तराखंड के विज्ञानियों ने कानपुर से बलिया तक दूसरे चरण की अध्ययन रिपोर्ट सप्ताह भर पहले ही सिंचाई विभाग को सौंपी है।
करीब चार माह के सर्वे के दौरान ड्रोन सहित कई आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है। कानपुर, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली और गाजीपुर होते हुए बलिया तक गंगा का फ्लड जोन निर्धारित हुआ है। प्रदेश में गंगा के किनारे वाले जिलों में आदेश हुए हैं कि सिंचाई
विभाग चिह्नित फ्लड जोन को सुरक्षित करेगा, इसके लिए प्रत्येक 200 मीटर की दूरी पर कंक्रीट का पिलर और एक किलोमीटर में साइनेज बोर्ड लगाया जाएगा। बोर्ड में बाढ़ क्षेत्र की चेतावनी के साथ ही जनता को ऐसे स्थान पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं करने की चेतावनी जारी की जाएगी।
बनारस में गंगा के एक तरफ 30 किलोमीटर जबकि दूसरी तरफ 36 किलोमीटर इलाके में साइनेज बोर्ड और पिलर लगाने के लिए करीब 34 लाख रुपये कार्ययोजना तैयार हुई है। इसी सप्ताह टेंडर होगा। छह माह में कार्य पूर्ण करने की समयावधि तय की गई है।
हरिद्वार से कानपुर तक पहले चरण का अध्ययन छह माह पहले केंद्रीय जल आयोग ने पूरा कर लिया है, लेकिन रिपोर्ट में खामियां उजागर होने से नए सिरे से सर्वे करने का निर्देश मिला है। इसी तरह चरणबद्ध तरीके से फ्लड जोन का निर्धारण बिहार, झारखंड और बंगाल तक होगा।
पूर्वांचल में हर साल होती व्यापक तबाही, पांच लाख आबादी का पलायन
पूर्वांचल में बाढ़ के कारण हर साल तबाही होती है, बनारस, गाजीपुर, मऊ और बलिया में व्यापक जनहानि होती है। पांच लाख से अधिक आबादी पलायन को विवश हो जाती है। बाढ़ क्षेत्र निर्धारित होगा तो लोग अवैध निर्माण नहीं करा सकेंगे। ऐसे क्षेत्रों से वह दूर रहेंगे और प्रशासन समय पर बाढ़ से निपटने की तैयारी कर सकेगा। सिंचाई विभाग और दूसरी एजेंसियों की तरफ से निगरानी भी संभव होगी।
एनजीटी की पहल पर फ्लड जोन का निर्धारण पहली बार हो रहा है। सिंचाई विभाग को रिपोर्ट दी गई है, उन्हें चिह्नित क्षेत्रों को सुरक्षित करने के निर्देश मिले हैं।
- जगदीश पात्रा, वैज्ञानिक, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
पूर्वांचल के चार जिलों के लिए टेेंडर प्रक्रिया चल रही है। गंगा का जलस्तर मानक के अनुरूप होने पर काम शुरू किया जाएगा।
- सुरेश चंद्र आजाद, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग
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