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    वाराणसी में घरेलू ब‍िजली का ब‍िल आ गया दो लाख रुपये, उपभोक्‍ता हर ओर से चक्‍कर काटकर हुआ न‍िराश

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 05:36 PM (IST)

    वाराणसी के घमहापुर गांव में धर्मेंद्र देव का बिजली बिल नवंबर में 3500 रुपये था, जो दिसंबर में बढ़कर 2 लाख 17 हजार रुपये हो गया। दो किलोवाट का कनेक्शन ...और पढ़ें

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    बिजली विभाग के चक्कर काटने पर भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा, जिससे उपभोक्ताओं में आक्रोश है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी (लोहता)। घमहापुर गांव के निवासी धर्मेंद्र देव के घरेलू बिजली का बिल पिछले नवंबर माह में पैंतीस सौ रुपये आया था, जबकि दिसंबर में यह बिल अचानक दो लाख सत्रह हजार रुपये हो गया। इस असामान्य वृद्धि के कारण धर्मेंद्र ने बिजली विभाग के कार्यालय का चक्कर काटना शुरू कर दिया है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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    धर्मेंद्र ने बताया कि उनके पास दो किलोवाट का घरेलू कनेक्शन है, जिससे केवल घर की आवश्यक बिजली चलती है। उनके घर में न तो एसी है और न ही कूलर, फिर भी इस तरह का बिल आना उनके लिए एक बड़ा आश्चर्य है। नवंबर में आया बिल पैंतीस सौ रुपये था, जो कि सामान्य था, लेकिन दिसंबर में अचानक दो लाख सत्रह हजार रुपये का बिल आना समझ से परे है।

    जब उन्होंने अपने बिल के संबंध में बरईपुर बिजली विभाग के कार्यालय में संपर्क किया, तो वहां के कर्मचारियों ने उन्हें रोहनिया भेज दिया। रोहनिया के कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि इस समस्या का समाधान केवल बरईपुर कार्यालय से ही हो सकता है। इस प्रकार, धर्मेंद्र दोनों कार्यालयों के बीच चक्कर काटते रहे, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका।

    धर्मेंद्र की स्थिति यह है कि वह लगातार विभाग के अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह स्थिति न केवल धर्मेंद्र के लिए बल्कि अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी चिंता का विषय है, जो बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं। अध‍िकार‍ियों का गैर ज‍िम्‍मेदाराना रवैया उपभोक्‍ताओं में रोष पैदा कर रहा है। 

    बिजली विभाग की इस लापरवाही के कारण उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि विभाग इस मामले को गंभीरता से ले और उपभोक्ताओं की समस्याओं का शीघ्र समाधान करे। यदि इस तरह की समस्याएं समय पर नहीं सुलझाई जाती हैं, तो इससे उपभोक्ताओं का विश्वास विभाग पर से उठ सकता है।

    धर्मेंद्र की समस्या केवल एक उदाहरण है, जो दर्शाता है कि कैसे बिजली विभाग की गलतियों के कारण उपभोक्ताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता है ताकि उपभोक्ताओं को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।