तीर्थ पुरोहित दंपति हत्याकांड: पति-पत्नी समेत 6 आरोपी दोषी करार, नौ जुलाई को कोर्ट तय करेगी सजा
वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र में 2019 में हुए केके उपाध्याय और उनकी पत्नी ममता उपाध्याय की हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पति-पत्नी समेत छह ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, वाराणसी। चेतगंज थाना क्षेत्र के कालीमहाल मोहल्ला में तीर्थ पुरोहित केके उपाध्याय तथा उनकी पत्नी ममता उपाध्याय की हत्या के चर्चित मामले में सोमवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट (द्वितीय) के न्यायाधीश सुनील कुमार ने पति-पत्नी समेत छह अभियुक्तों को दोषी करार दिया।
अदालत द्वारा दोषी करार अभियुक्तों में मृतक राजेन्द्र उपाध्याय, पूजा मिश्रा (उपाध्याय), रजत उपाध्याय, रामविचार उपाध्याय, महेंद्र प्रताप राय व अच्छे लाल उर्फ नजमुल हसन शामिल हैं। अदालत ने इन अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए नौ जुलाई की तिथि मुकर्रर करते हुए सभी को जेल भेज दिया।
साक्ष्य के अभाव में आरोपित मनचंदा, वत्सला, कुशमेश्वर मिश्रा, मदन लाल और कृष्ण मोहन मिश्रा उर्फ भूल्लन दोषमुक्त कर दिए गए। अदालत में वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता संतोष सिंह, राधेश्याम चौबे और अभियोजन पक्ष की ओर से डीजीसी मुनीब सिंह चौहान, एडीजीसी पवन कुमार जायसवाल ने पैरवी की।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 सितंबर 2019 को सुबह लगभग साढ़े सात बजे कालीमहाल (चेतगंज) मोहल्ला में पिशाचमोचन कुंड के तीर्थ पुरोहित कृष्ण कुमार (केके) उपाध्याय व उनकी पत्नी ममता की संपत्ति के विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त केके उपाध्याय अपने घर के बाहर खड़े थे और उनकी पत्नी घर में बर्तन धो रही थी।
मृतक के पुत्र सुमित कुमार उपाध्याय ने अपने सगे चाचा राजेंद्र उपाध्याय,उनकी पत्नी पूजा मिश्रा (उपाध्याय), पुत्र रजत उपाध्याय व रामविचार उपाध्याय के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराया था। कृष्ण कुमार उपाध्याय का भाई राजेन्द्र उपाध्याय से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था।
सुमित उपाध्याय ने 12 अप्रैल 2012 अदालत में बयान दिया था कि उसके पिता कृष्ण कुमार उपाध्याय तैयार होकर घर से निकले कि गली में ही राजेंद्र उपाध्याय,पूजा मिश्रा,रजत उपाध्याय व रामविचार एक मत होकर हाथों में लिए पिस्टल व चापड़ लहराते और गालियां देते हुए बाहर निकले।
पूजा के ललकारने पर रजत उपाध्याय ने उसके पिता को गोली मार दी और रामविचार ने चापड़ से कई बार वार किए जिससे लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़े। पिता जी को बचाने को घर में ही ऊपर से नीचे दौड़ा तो उपरोक्त अभियुक्तों को उसकी ओर आते देख वह ऊपर की ओर भागने लगा। उसे लक्ष्य कर रजत ने पिस्टल से उस पर फायरिंग की लेकिन संयोगवश उसे गोली नहीं लगी।
उसे बचाने उसकी मां चिल्लाते हुए सबों को रोकने की कोशिश की तो रामविचार ने चापड़ से उनके ऊपर पर कई वार किया जिससे लहूलुहान होकर वो जमीन पर गिर पड़ी। कमरे में से उसने अपनी मां को राजेन्द्र उपाध्याय और रजत उपाध्याय द्वारा पिस्टल से गोली मारते और रामविचार उपाध्याय को चापड़ से काटते देखा। कमरे के अंदर से लगातार वह चिल्लाने और शोर मचाने लगा।
गोली चलने की आवाज सुनकर अगल-बगल से मोहल्ला के लोग गली में इकट्ठा हो गए जिससे सभी आरोपित भाग गए। हमलावरों के भागने के बाद वह कमरे से बाहर निकला और अपने मोबाइल से पुलिस को 100 नंबर पर सूचना दी। पुलिस की मदद से वह अपने माता-पिता को बीएचयू ट्रामा सेंटर ले जा रहा था लेकिन ट्रामा सेंटर पहुंचने से पहले ही दोनों की मृत्यु हो गई थी।
विवेचना के दौरान राजेन्द्र उपाध्याय,रजत उपाध्याय और पूजा मिश्रा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। अदालत से अनुमति लेकर पुलिस ने जब इन आरोपितों को अभिरक्षा में ली तो राजेन्द्र उपाध्याय, रजत उपाध्याय की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त असलहे को बरामद कर ली।
पूजा मिश्रा की निशानदेही पर पुलिस ने आरोपित महेंद्र प्रताप राय के घर से असलहा व कारतूस बरामद किया। घटना के समय राजेन्द्र उपाध्याय के पहने कपड़े को पुलिस ने अच्छे हसन उर्फ नजमुल हसन के घर से बरामद किया था। कपड़े पर खून के छीटें लगे हुए थे। विवेचना पूरी कर पुलिस ने 12 आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दी। सुनवाई के दौरान एक आरोपित रमेश चंद्र उपाध्याय की मृत्यु हो गई।

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