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    एक साल तक मां की लाश के साथ रह रहीं थी बेटियां, पड़ोसियों तक को नहीं लगने दी भनक, बदबू आने पर भी नहीं हुआ शक; ऐसे हुआ खुलासा

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Thu, 30 Nov 2023 07:13 AM (IST)

    यूपी के वाराणसी से एक दिल दहलाने देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक वर्ष पहले मर चुकी मां के शव के साथ उसकी दो बेटियां रह रही थीं जिसकी भनक न किसी को नहीं लगी। इनमें से एक बेटी की उम्र 27 वर्षीय और दूसरी की 19 वर्ष है। इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि इस राज का पर्दाफाश हो गया।

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    एक साल तक सड़ती रही मां की लाश। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाराणसी में दो युवतियां एक वर्ष पहले मर चुकी मां के शव के साथ रह रही थीं। रिश्तेदार और पड़ोसी भी इतने लंबे समय तक अनभिज्ञ रहे, क्योंकि उन्होंने सबसे रिश्ते तोड़ लिए थे। प्रधानमंत्री अन्न योजना और मां के जेवरात बेचने से मिले पैसों से अपना खर्च चला रही थीं। जेवर बेचने से मिले पैसे भी जब खत्म हो गए तो 27 वर्षीय पल्लवी व 19 वर्ष की वैष्णवी तीन-चार दिनों से पड़ोसी के घर से भोजन आदि मांग रही थीं। शक होने पर पड़ोसी ने उनके नाना को जानकारी दी तो सच्चाई सामने आई। 

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    पति से अलग होकर बेटियों के साथ रहती थी महिला

    बलिया के रामकृष्ण पांडेय ने तीन बेटियों में सबसे बड़ी ऊषा की शादी बलिया में देवेश्वर तिवारी के साथ 30 वर्ष पहले की थी। पति से अनबन होने पर ऊषा दोनों बेटियों पल्लवी व वैष्णवी के साथ पिता के घाट मदरवां के मकान में रहने लगीं। पल्लवी ने एमकाम किया है और वैष्णवी हाई स्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। बिहार में एसीसी सीमेंट से रिटायर होने के बाद रामकृष्ण ने घर के पास ही कॉस्मेटिक की दुकान खोली थी।

    पल्लवी का व्यवहार ठीक नहीं होने के कारण रामकृष्ण करीब डेढ़ वर्ष पहले सबसे छोटी बेटी उपासना के घर लखनऊ में रहने लगे। पल्लवी ने दुकान तो संभाली, लेकिन चला नहीं पाई। आठ दिसंबर, 2022 को ऊषा की मौत हो गई। दो महीने पहले रामकृष्ण आए थे, लेकिन पल्लवी ने घर में घुसने ही नहीं दिया। रामकृष्ण ने जाने से पहले पड़ोसी रमेश सिंह को अपना नंबर दे दिया था, ताकि जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके। 

    जबरदस्ती दरवाजा खोलवाया तो अंदर का दृश्य देखकर सभी हैरान

    रमेश ने पल्लवी व वैष्णवी की स्थिति के बारे में जब रामकृष्ण को बताया तो उन्होंने मीरजापुर में रहने वाली अपनी मझली बेटी सीमा चतुर्वेदी को बनारस भेजा। सीमा घर पहुंचीं तो पल्लवी और वैष्णवी ने दरवाजा नहीं खोला। उन्होंने लंका थाने को सूचना दी। इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्रा ने जबरदस्ती दरवाजा खोलवाया तो अंदर का दृश्य देखकर सभी हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि ऊषा के शव का कंकाल एक कमरे में पलंग पर सफेद रंग की रजाई से ढका रखा था। दोनों बहनें दूसरे कमरे में रह रही थीं और उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं लग रही है। इस बारे में पूछने पर पल्लवी ने बताया कि मां के निधन की सूचना उन्होंने डर के मारे किसी को नहीं दी। 

    पड़ोसी ने समझा, जानवर की लाश से आ रही दुर्गंध

    पल्लवी व वैष्णवी जिस घर में रह रही थीं वह गंगा तट के पास है। तीन तरफ खाली प्लाट हैं, जिनमें झाड़-झंखाड़ उगे हैं। एक तरफ रमेश सिंह का मकान है और उनके बगल में एक छोटा सा मंदिर है। रमेश ने बताया कि प्लाट खाली होने के कारण कई बार लोग मरे हुए जानवर फेंक देते हैं, जिसकी दुर्गंध आती रहती है। ऊषा की लाश की दुर्गंध आई भी होगी तो उन्हें लगा होगा कोई जानवर मरा है, इसलिए ध्यान नहीं दिया।

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