वाराणसी सहित समूचा पूर्वांचल कोहरे और गलन की चपेट में, दस डिग्री से नीचे तक आया पारा
वाराणसी समेत पूरा पूर्वांचल कोहरे और ठंड की चपेट में है। तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और पारा दस डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है, जिससे लोगों को ...और पढ़ें

खेतों में सरसों खिलने के साथ ही कोहरे का प्रकोप भी नजर आने लगा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूर्वांचल सहित वाराणसी में शनिवार की सुबह कोहरे की घनी चादर में लिपटी रही। सुबह गलन का दौर रहा तो चलने वाली हवाएं भी ठंडक और गलन का अहसास कराती रहीं। मौसम विभाग के अनुमानों के अनुसार ही पूर्वांचल में कोहरे और गलन का दौर बना रहा। मौसम विभाग के अनुसार कोहरे और गलन का दौर पश्चिमी विक्षोभ के असर से अब सर्दी भर बना रहेगा।
दूसरी ओर हाइवे पर कोहरे की चादर घिरने की वजह से गलन का व्यापक असर बना रहा। गलन की वजह से सड़कों पर वाहनों की भीड़ भी सुबह कम रही। जबकि फाग लाइट जलाकर ही वाहन चालक घरों से निकले। सुबह कोहरे की वजह से वाहनों की गति भी काफी सुस्त बनी रही। कोहरे की वजह से सड़कों पर लोगों का जमावड़ा कम रहा। दिन चढ़ने के बाद ही अलसाई सुबह का दौर खत्म हुआ। सुबह 11 बजे के बाद सूरज पूरी तरह से खिल सका।
सुबह कोहरे की चादर घिरने से अंचलों से लेकर हाइवे तक गहरा धुंधलका बना रहा। दिन चढ़ा तो नौ बजे सूरज की रोशनी का प्रभाव परिलक्षित होना शुरू हो सकता। इसके बाद गुनगुनी धूप सेंकने के लिए लोगों ने सूरज के ताप का सहारा लिया। सूरज के साथ ही अंचलों में लोग अलाव पर हाथ सेंकते रहे। जबकि अभी पश्चिमी विक्षोभ का व्यापक प्रभाव होना शेष है। लिहाजा माना जा रहा है कि पखवारे भर में तापमान गिरकर पांच डिग्री से भी नीचे जा सकता है।
बीते चौबीस घंटों में अधिकतम तापमान 24.3°C दर्ज किया गया जो सामान्य से 0.2 डिग्री कम रहा। न्यूनतम तापमान 9.5°C दर्ज किया गया जो सामान्य से 1.0 डिग्री कम रहा। आर्द्रता इस दौरान न्यूनतम 74% और अधिकतम 93% दर्ज की गई। आर्द्रता में इजाफा होने से गलन का व्यापक प्रभाव नजर नहीं आ रहा है लेकिन पछुआ का जोर हुआ तो गलन का असर और भी व्यापक स्वरूप में नजर आएगा।
मौसम विभाग ने सप्ताह भर बाद तापमान में और भी कमी का संकेत दिया है। मौसम विभाग ने आगामी सप्ताह भर तक व्यापक मौसमी बदलाव की संभावना से हालांकि इन्कार किया है। जबकि कोहरे और गलन का दौर अनवरत जारी रहेगा। इसके साथ ही पश्चिमी विक्षोभ का असर व्यापक तौर पर पूर्वांचल तक पहुंचा तो बादलों की भी सक्रियता हो सकती है। हालांकि अभी यह दौर दूर है।

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