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    वाराणसी में अवैध नौका संचालन के खिलाफ नाविकों का प्रदर्शन, अध्यक्ष का आमरण अनशन

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 03:07 PM (IST)

    वाराणसी में नाविक समाज के अध्यक्ष प्रमोद माझी अवैध नौका संचालन के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे हैं जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई है। माझी समाज नथ्थू केवट को हटाने की मांग कर रहा है जिस पर अवैध रूप से नौका चलाने का आरोप है। प्रशासन की अनदेखी के कारण नाविकों में आक्रोश है।

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    प्रमोद माझी के आमरण अनशन के कारण रविवार की दोपहर उनकी स्थिति गंभीर हो गई।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। नाविक समाज के अध्यक्ष प्रमोद माझी के आमरण अनशन के कारण रविवार की दोपहर उनकी स्थिति गंभीर हो गई। उनकी तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलते ही घाट के सभी नाविक एकत्रित हो गए और व‍िरोध जताया।

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    तेलियानाला घाट के नाविक राकेश साहनी बबलू ने बताया कि नथ्थू केवट नामक व्यक्ति, जो माझी के परिवार का भरण-पोषण करता है, नगर निगम से लाइसेंस लेकर अवैध रूप से नौका संचालन करना चाहता है। इसके खिलाफ बनारस के नाविक समाज ने कई बार नगर निगम और प्रशासन को शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

    यहां केवल एक घाट का मामला नहीं है, बल्कि पूरे घाट का यह मुद्दा है। माझी समाज इस स्थिति से पूरी तरह असंतुष्ट है और मांग कर रहा है कि नथ्थू केवट को तुरंत हटाया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो माझी समाज अपना आमरण अनशन जारी रखेगा। प्रमोद माझी ने प्रशासन की अनसुनी के कारण खुद आमरण अनशन का निर्णय लिया है। उन्होंने जल का त्याग कर मौन धारण किया है।

    अब तक 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इस दौरान कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी हालात जानने नहीं आया। यदि प्रमोद माझी को कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन की होगी।

    नाविक समाज के सदस्यों ने एकजुट होकर अपनी आवाज उठाई है और प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले में लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। नाविक समाज के लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि नथ्थू केवट के अवैध संचालन से उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।

    प्रमोद माझी के अनशन के चलते घाट पर तनाव का माहौल बना हुआ है। नाविक समाज के सदस्य एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और भी कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।

    इस स्थिति में प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करे और नाविक समाज की समस्याओं का समाधान करे। वरना, यह मामला और भी गंभीर हो सकता है। नाविक समाज की एकता और संघर्ष इस बात का संकेत है कि वे अपनी अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं।