Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घोसी में 'ध्रुवीकरण' पर हावी मोदी-योगी का विकास मॉडल, कांग्रेस और रालोद के मतों में सेंधमारी की जोर-आजमाइश

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Sun, 03 Sep 2023 02:05 PM (IST)

    UP Politics घोसी में पहला मौका है जब बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है जबकि निषाद पार्टी व सुभासपा अपने परंपरागत वोटों से भाजपा को मजबूती देने की कोशिश में हैं। कांग्रेस रालोद और कम्युनिस्ट पार्टी के मतों पर सेंधमारी की जोर-आजमाइश जारी है। पिछले कई उपचुनावों से लगातार दूरी बना चुके पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विधानसभा में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

    Hero Image
    घोसी में 'ध्रुवीकरण' पर हावी मोदी-योगी का विकास मॉडल, कांग्रेस और रालोद के मतों में सेंधमारी की जोर-आजमाइश

    संग्राम सिंह, वाराणसी: घोसी में पहला मौका है, जब बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है, जबकि निषाद पार्टी व सुभासपा अपने परंपरागत वोटों से भाजपा को मजबूती देने की कोशिश में हैं। कांग्रेस, रालोद और कम्युनिस्ट पार्टी के मतों पर सेंधमारी की जोर-आजमाइश जारी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पिछले कई उपचुनावों से लगातार दूरी बना चुके पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विधानसभा में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उनकी चुनावी सभा के बाद लड़ाई दिलचस्प बना चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली ने उपचुनाव को और रोमांचक बना दिया है।

    दारा सिंह चौहान पर दलबदलू की ठप्पा

    भाजपा के दारा सिंह चौहान पर दलबदलू का ठप्पा जरूर है, लेकिन वह मोदी-योगी के विकास मॉडल के भरोसे चुनावी अखाड़े में कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं। सपा के सुधाकर सिंह ने भी जनता के बीच "करीबी चाल" चली है। वह विरोधी को बाहरी बताकर मतों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश में हैं।

    बनारस-गोरखपुर हाईवे पर घोसी नगर पंचायत में प्रवेश करते ही गूंजता लाउडस्पीकर लोकतंत्र के उत्सव का आभास करा रहा है। घोसी विधानसभा क्षेत्र में 16 महीने बाद जनता दूसरी बार वोट देने वाली है।

    क्या है जनता का मत

    सीताकुंड और घोसी रेलवे स्टेशन पर चुनावी चर्चा चरम पर दिखी। यहां हर वर्ग की जुटान थी। चाय की चुस्की के साथ सभी घोसी की सरकार बना रहे थे। हथकरघा कारोबारी जैनुद्दीन को खुशी है कि उनके इलाके की सड़क बन चुकी है। वाहन दौड़ रहे हैं। दो साल पहले वह इन्हीं गड्ढों में गिरकर चोटिल हो गए थे। कहते हैं- पावरलूम को भी सरकार "पावर" दे तो उनके जैसे 75,000 लोगों के जीवन में बहार आ जाए।

    बिजली की दुकान चलाने वाले उमेश श्रीवास्तव कहते हैं-नौ साल पहले बिजली नहीं आती थी। इसमें सुधार हुआ है, लेकिन बिजली सस्ती होनी चाहिए। नियाजुद्दीन बोले कि पांच साल पहले यहां की चीनी मिल बंदी के कगार पर पहुंच गई थी। सरकार ने उसे संजीवनी दी। यकीनन, इससे गन्ना किसानों को राहत मिली, लेकिन आय दोगुना करने के लिए उनके जैसे किसान अब भी संघर्ष कर रहे हैं।

    पानी-बिजली व खाद महंगी हो चुकी है। खेती अब घाटे का सौदा सिद्ध हो रही है। कस्बे में परचून की दुकान चलाने वाले विश्वमित्र को पीएम स्वनिधि योजना ने सबल बनाया लेकिन उन्हें मलाल भी है कि लोन के लिए उन्हें बैंकों के बहुत चक्कर काटने पड़े।

    मुस्लिम, दलित व ऊंची जातियां लिखतीं हैं किस्मत

    घोसी विधानसभा क्षेत्र में करीब 4.38 लाख वोटर हैं। इसमें एक लाख के करीब मुस्लिम हैं। 80,000 दलित के अलावा 77,000 ऊंची जातियां भी हैं। भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण के अलावा पिछड़ी जातियां हैं।

    यहां उपचुनाव की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि 2022 में सपा से दारा सिंह चौहान ने भाजपा के विजय राजभर से 20,000 से अधिक वोटों से हरा दिया था। हालांकि, पिछले दिनों विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। पांच सितंबर को वोट पड़ेंगे और परिणाम आठ सितंबर को आएगा।