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बीएचयू में बनेगी यूपी की पहली बाल हृदय चिकित्सा विंग, आइएमएस ने शुरू की पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट तैनाती की प्रक्रिया

चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू स्थित हृदय रोग विभाग में बच्चों के लिए विशेष हृदय चिकित्सा विंग बनने जा रही है। इसमें 12 साल तक के उन बच्चों का आपरेशन किया जाएगा जो दिल में छेद समेत हृदय संबंधित अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 08:10 AM (IST)
बीएचयू में बनेगी यूपी की पहली बाल हृदय चिकित्सा विंग, आइएमएस ने शुरू की पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट तैनाती की प्रक्रिया
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित हृदय रोग विभाग में बच्चों के लिए विशेष हृदय चिकित्सा विंग बनने जा रही है।

वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव : चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित हृदय रोग विभाग में बच्चों के लिए विशेष हृदय चिकित्सा विंग बनने जा रही है। इसमें 12 साल तक के उन बच्चों का आपरेशन किया जाएगा जो दिल में छेद समेत हृदय संबंधित अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं। बाल हृदय चिकित्सा की यह प्रदेश में पहली विंग होगी। इसके लिए पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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अब तक हृदय रोग पीड़ित बच्चों के आपरेशन के लिए विभाग की ओर से समय-समय पर विशेष कैंप लगाए जाते थे। इसमें दिल्ली-मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों में स्थित उच्च चिकित्सा संस्थानों से पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट बुलाए जाते थे। इससे सर्जरी के लिए कई माह तक इंतजार करना पड़ता है।

इसमें गंभीर रोगियों की जान पर बन आती थी। इससे उन्हें अन्य शहरों के सरकारी या निजी अस्पतालों की ओर जाना होता था। हालांकि इसमें डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक खर्च आने से हर एक के वश की बात नहीं होती थी। वहीं बीएचयू में इस तरह के आपरेशन 60 हजार से सवा लाख रुपये तक में हो जाते हैं।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल को पूर्वांचल का एम्स भी कहा जाता है। इसमें चिकित्सा के लिए पूर्वांचल के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तक से मरीज आते हैं। यहां लगभग सभी रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, लेकिन पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में जिन बच्चों के दिल के छेद का आपरेशन की जरूरत होती है उन्हें समय दिया जाता है। संख्या 10-12 होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से समय लेकर सर्जरी कैंप लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में छह से आठ माह तक का समय लग जाता है।

आइएमएस बीएचयू बाल हृदय चिकित्सा विंग वाला प्रदेश का पहला संस्थान हो जाएगा

बीएचयू अस्पताल में हर दिन 20 से 30 तक हृदय रोग पीड़ित बच्चे लाए जाते हैं। पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट न होने से उपचार प्रभावित हो रहा था। विभाग में चिकित्सकों के दस पद हैं जिसमें दो खाली हैं। इन दो पदों पर पीडियाट्रिक कार्डियोलाजिस्ट व इलेक्ट्रो फीजियोलाजिस्ट की मांग की गई है। नियुक्त की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन विशेषज्ञों के आने से आइएमएस बीएचयू बाल हृदय चिकित्सा विंग वाला प्रदेश का पहला संस्थान हो जाएगा।

- डा. ओम शंकर, प्रोफेसर एंड हेड, हृदय रोग विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान-बीएचयू ।


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