राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस : तिरंगे के सीने में धड़कता है अपना बनारस
वाराणसी के लिए तिरंगे की काफी अहमियत है।
शाश्वत मिश्रा, वाराणसी : हमारे तिरंगे में केसरिया शक्ति व साहस को, सफेद शाति को और हरा रंग उर्वरता व समृद्धि को दिखाता है। इसके साथ ही झडे के बीच में नीले रंग का चक्र भी है, जिसे विधि का चक्र भी है, इसके लिए 24 और जीवन की गतिशीलता को दिखाते हैं। पूरे देश को प्रेरणा देने वाली यह गतिशीलता बनारस के सारनाथ स्थित अशोक के लाट से ली गई है। जब गाधी जी ने किया विरोध
महात्मा गाधी चाहते थे कि देश के झडे में चरखे को भी स्थान मिले लेकिन जब झडे के लिये बनाई गई कमेटी ने चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को मंजूरी दी तो 6 अगस्त 1947 को महात्मा गाधी ने कहा कि अगर भारत के झडे में चरखा नहीं हुआ तो मैं उसे सलाम करने से इन्कार करता हूं। दरअसल, गाधी जी का मानना था कि इसे जिस अशोक की लाट से लिया गया है उसमें सिंह भी है जो हिंसा का प्रतीक है जबकि भारत ने अपनी आजादी अहिंसा के बल पर प्राप्त की थी। बाद में सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू ने उनको समझाया कि तिरंगे में चक्र का मतलब विकास से है और ये अहिंसा का प्रतीक चरखे का ही रूप है। अंतत: गाधी जी मान गये।
1857 का सपना 1947 में हुआ पूरा : आधुनिक भारत में देश के लिये एक झडे का सपना सबसे पहले 1857 के गदर के समय देखा गया था। लेकिन इस लड़ाई के असमय खत्म हो जाने के कारण यह सपना उस समय पूरा नहीं हो सका। इसके बाद सबसे पहले झडे को आकार 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने दिया। इसे 7 अगस्त,1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौक में आयोजित काग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। ऊपर की ओर हरी पट्टी में आठ कमल थे। नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चांद बनाए गए थे। बीच की पीली पट्टी पर वंदेमातरम् लिखा गया था। दूसरा झडा पेरिस में मैडम कामा और 1908 में उनके साथ निर्वासित क्त्रातिकारियों द्वारा फहराया गया था। यह भी पहले ध्वज के समान था। इसमें ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल था, किंतु सात तारे सप्तऋषियों को दर्शाते थे। यह ध्वज बर्लिन में आयोजित समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था। इसके बाद 1931 में तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया और इसे राष्ट्र-ध्वज के रूप में मान्यता मिली। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया। क्या है राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस
22 जुलाई 1947 को तिरंगे को भारत के संविधान द्वारा अपनाया गया था। इसी कारण 22 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। वाराणसी में बना था रिकार्ड
4 सितंबर 2016 को बनारस में 7500 मीटर लम्बा तिरंगा फहराया गया था। यह सराहनीय काम कई स्कूलों, संस्थाओं और प्राइड ऑफ नेशन्स के सहयोग से जागरण ने किया था। कुछ ऐसा है अपना तिरंगा
तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग बराबर अनुपात में है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है। इसमें 24 तीलियां हैं। आधुनिक झडे की रूपरेखा तैयार की पिंगलि वेंकय्या ने।
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