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    Gyanvapi: ज्ञानवापी में सर्वे जारी, GPR से जांचा जाएगा मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर के गर्भगृह का दावा

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Sun, 06 Aug 2023 09:32 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी पर‍िसर में सर्वेक्षण को मंजूरी द‍िये जाने के बाद से शुरु हुए एएसआई सर्वे का आज तीसरा द‍िन है। इस बीच मंदिर पक्ष ने मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह होने का दावा क‍िया है। मंद‍िर पक्ष चाहता है क‍ि गुंबद के नीचे स्थित कमरे की जीपीआर जांच हो। उसे जमीन के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर के चिह्न मिलने की उम्मीद है।

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    Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी पर‍िसर में सर्वे का आज तीसरा द‍िन

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। Gyanvapi Survey ज्ञानवापी पर‍िसर में शुक्रवार से शुरु हुए एएसआई सर्वेक्षण का आज तीसरा द‍िन है। आज भी एएसआई की टीम मंद‍िर में सर्वे का काम जारी रखेगी। इस बीच मंद‍िर पक्ष ने मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह होने का दावा करते हुए गुंबद के नीचे स्थित कमरे की जीपीआर जांच की मांग की है। ज‍िससे यह स्‍पष्‍ट हो सके क‍ि वहां पर क्‍या मौजूद है। एएसआई की टीम ज्ञानवापी के अंदर सर्वेक्षण का कार्य सुबह 8:00 बजे से कर रही है।  हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी भी ज्ञानवापी पहुंच गए हैं।

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    मंदिर पक्ष का जोर आरंभ से ही ज्ञानवापी परिसर में मुख्य गुंबद के नीचे की जांच पर रहा है। उनका दावा है कि इस स्थान पर आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह था और उसके नीचे शिवलिंग व अरघा समेत अन्य साक्ष्य मौजूद हैं। अलग-अलग अवसरों पर अदालत में कई बार इसका उल्लेख भी किया गया है।

    पूरे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग के पीछे यह एक बड़ा कारण रहा है। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी व सुभाषनंदन चतुर्वेदी के अनुसार इतिहासकार जेम्स प्रिंसेप ने अपनी पुस्तक में अष्टकोणीय आदि विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा दर्शाया है।

    इसमें आठ मंडप भैरव मंडप, ऐश्वर्य मंडप, शृंगार मंडप, दंडपाणि मंडप, गणेश मंडप, मुक्ति मंडप, तारकेश्वर मंडप, ज्ञान मंडप थे। इनके मध्य में मंदिर का गर्भगृह था, जिसमें आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग विराजमान था। इस पर चढ़ाए जाने वाला जल व दूध दक्षिण दिशा में मौजूद मुक्ति मंडप के बाहर स्थित कूप में गिरता था।

    मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम तरफ मौजूद शृंगार मंडप की ओर से था। वह वर्तमान में नजर आने वाली पश्चिमी दीवार को इसका अवशेष बताते हैं। वर्ष 1669 में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, जिसके तीन गुंबदों में से बीच का मुख्य गुंबद गर्भगृह के ऊपर बनाया गया है। मुख्य गुंबद के नीचे बड़ा कमरा है, जिसमें नमाज पढ़ी जाती है।

    पिछले साल मई में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट में भी इस कमरे के फर्श के ठोस नहीं होने की बात कही गई है। इसमें नीचे जाने का कोई रास्ता नहीं है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पश्चिमी दीवार से लेकर गुंबद तक का हिस्सा बंद है।

    मंदिर पक्ष का कहना है कि मुख्य गुंबद के नीचे जांच की जाए तो प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर के चिह्न जरूर मिलेंगे। इस जगह की जांच के लिए ही मंदिर पक्ष ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से जांच करने की मांग करता रहा है। इसमें ही यह पता चलेगा कि जमीन ठोस है या पोली। यदि जमीन पोली है तो उसके नीचे कैसी संरचना है, इसका पता जीपीआर जांच से ही चलेगा।