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    BHU आयुर्वेद में एमडी-एमएस की सीटें बढ़ाने के लिए अस्पताल में बढ़ाने पड़ेंगे 125 बेड

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 17 Aug 2021 10:44 AM (IST)

    चिकित्सा विज्ञान संस्थान एमडी-एमएस की सीटें बढ़ाने के लिए बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के बीएएमएस छात्र-छात्राओं ने सोमवार को कुलपति आवास (वीसी लाज) के सामने जमकर प्रदर्शन किया। हलांकि सीटें बढ़ाने के लिए अस्पताल में 125 भी बढ़ाने पड़ेंगे जो आसान नहीं है।

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    बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के बीएएमएस छात्र-छात्राओं ने सोमवार को कुलपति आवास (वीसी लाज) के सामने जमकर प्रदर्शन किया।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, एमडी-एमएस की सीटें बढ़ाने के लिए बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के बीएएमएस छात्र-छात्राओं ने सोमवार को कुलपति आवास (वीसी लाज) के सामने जमकर प्रदर्शन किया। हालांकि, सीटें बढ़ाने के लिए अस्पताल में 125 भी बढ़ाने पड़ेंगे, जो आसान नहीं है। यही नहीं आयुर्वेद संकाय में सिर्फ बढ़ी सीटों पर ही 25 करोड़ अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। साथ ही अन्य स्टाफ व सुविधाओं का खर्च अलग है। इसके साथ ही सुविधाओं में इजाफा होने का फायदा सबसे अधिक आम जनता को होगा। खासकर पूर्वांचल और बिहार, छत्‍तीसबढ़, झारखंड, मध्‍य प्रदेश से आने वाले लोगों के लिए बीएचयू में सेवाओं में इजाफा होने का फायदा मिलेगा।  

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    मालूम हो कि आयुर्वेद में पीजी की सीटें पिछले साल 48 थी। हालांकि इसे बढ़ाकर इस साल 54 कर दी गई हैं। इसमें करीब 50 सीटें इंटरनल कोटे की होती है। इसी को ध्यान में रखकर विद्यार्थी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। ताकि सीटें बढ़ेंगी तो कम से कम उनकी भागिदारी और बढ़ सकेगी। एक और तर्क है कि यहां पर शिक्षकों की नियुक्ति बहुतायत हो गई है। इसी को पैमाना बनाकर कुछ माह पहले भी सीटें बढ़ाने को लेकर मंत्रालय को छात्रों ने पत्र भेजा था। इस पर संस्थान में एक कमेटी भी बनी थी।

    बताया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने के लिए सिर्फ शिक्षकों की संख्या ही नहीं मायने रखती। इसके लिए अस्पताल में बेड और अन्य सुविधाएं भी बढ़ानी पड़ेगी, जो फिलहाल संभव नहीं दिख रही है। साथ ही करीब 25 करोड़ अतिरिक्त खर्च भी बढ़ सकता है। सूत्रों का कहना कि शिक्षकों की संख्या अधिक होने का हवाला देते हुए एक ओर जहां सीटें बढ़ाने की मांग उठ रही है वहीं दूसरी ओर नर्सिंग कालेज में शिक्षकों की संख्या कम रहने के कारण सीटें घट गई हैं। आयुर्वेद संकाय फिर से इन विवाद के लिए चर्चा में आ गया है।