लालू यादव और शहाबुद्दीन को चुनौती देने वाले तेरह वर्षीय राजा की गाजीपुर में हृदयगति रुकने से मौत
यूपी के शान राजा ने कभी रेस के मैदान में लालू और शहाबुद्दीन जैसे दिग्गजों के घोड़ों को पछाड़कर गाजीपुर का मान बढ़ाया था लेकिन मंगलवार को मौत को नहीं हरा सका। जिले में खानपुर क्षेत्र के सिधौना निवासी राजीव सिंह के घोड़ा राजा की मंगलवार को मौत हो गई।

गाजीपुर, जेएनएन। यूपी के शान राजा ने कभी रेस के मैदान में लालू और शहाबुद्दीन जैसे दिग्गजों के घोड़ों को पछाड़कर गाजीपुर जिले का मान बढ़ाया था लेकिन मंगलवार को मौत को नहीं हरा सका। गाजीपुर जिले में खानपुर क्षेत्र के सिधौना निवासी राजीव सिंह के घोड़ा राजा की मंगलवार को मौत हो गई। अपने चुस्ती छलांग और दौड़ में फुर्तीले पन के लिए विख्यात राजा यूपी और बिहार के कई रेसकोर्स का विजेता रहा है।
राजा के मालिक राजीव सिंह ने बताया कि सात साल पूर्व लाया गया अश्व राजा प्रसिद्ध सोनपुर मेले का स्वर्ण विजेता रहा है। बिहार के लालू यादव और शहाबुद्दीन के धावक घोड़ों को पछाड़ चुका राजा दो दर्जन दौड़ प्रतियोगिता में तीन बार स्वर्ण और दो बार रजत सहित कई कप और पुरस्कार जीत चुका है। पशु चिकित्सक संजय सिंह के अनुसार तेरह वर्षीय घोड़े राजा की हृदयगति रुकने से नाक और मुंह रक्तस्राव होने लगा जिससे उसे कोशिश के बाद भी बचाया नही जा सका। राजीव सिंह ने अपने प्रिय अश्व राजा का वैदिक परंपराओं के अनुरूप अंतिम संस्कार किया तो परिवार ही नहीं रेसकोर्स के जानकार लोगों की भी आंखें भर आईंं।
कई प्रतियोगिताओं के विजेता अश्व राजा का रीति रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार हुआ। (फोटो : सोशल मीडिया)
राजा की तरह राजा की परवरिश
अंतरराज्यीय प्रतियोगिताओं में राजा ने अपना परचम कई मौकों पर फहराया था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और चर्चित शहाबुद्दीन के धावक घोड़ों को मैदान में राजा ने पछाड़ कर यूपी का झंडा सोनपुर मेले तक में फहराया है। यूपी और बिहार सहित आसपास घुड़दौड़ के कई आयोजन सदियों से होता रहा है। इसमें शौकीन घुड़सवार अपने घोड़ों के साथ मैदान में उतरते रहे हैं। बलिया का ददरी मेला हो या बिहार का सोनपुर मेला दोनों की जगह पशुओं की खरीद बिक्री ही नहीं बल्कि घोड़ों की रेस भी होती है। इन मेलों में गाजीपुर के राजीव सिंह के घोड़े राजा ने अपना परचम कई मौकों पर लहराया। राजा की परवरिश भी राजा की ही तरह होती थी। उसकी देखरेख भी परिवार के सदस्या की तरह की जाती रही।
परंपराओं के अनुरूप अंतिम संस्कार
राजीव सिंंह का अपने प्रिय चेतक राजा से लगाव ऐसा था कि उसकी खराब हालत होने पर बचाने का काफी प्रयास किया। इस बाबत पशु चिकित्सक संजय सिंह ने बताया कि तेरह वर्षीय राजा की हृदयगति रुकने के बाद नाक और मुंह से लगातार रक्तस्राव होने लगा था और काफी कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। राजा की मौत के बाद उसे वैदिक रीति रिवाजों और परंपराओं के अनुरूप कफन के साथ जीवन के अंतिम सफर पर रवाना किया गया तो परिवार के लोगों के आंसू नहीं थमे। वहीं राजा से लगाव और एक पशु के अंतिम संस्कार की तस्वीरें भी इंटरनेट पर खूब वायरल हुईं।
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