हुआ शंखनाद, संध्योपासना में गूंजे वेदमंत्र
जागरण संवाददाता वाराणसी महमूरगंज स्थित पाणिनि कन्या महाविद्यालय में तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती
जागरण संवाददाता, वाराणसी : महमूरगंज स्थित पाणिनि कन्या महाविद्यालय में तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती दीक्षा समारोह का आगाज शुक्रवार को शंखनाद व ध्वजारोहण से हुआ। इस क्रम में सुबह 50 छात्राओं ने संध्योपासना के बाद वृहद यज्ञ किया। इस दौरान परिसर में घंटे व वेदमंत्र गूंजते रहे।
इसके बाद आर्य कन्या विद्यापीठ (नजीबाबाद) की प्राचार्य डा. प्रियंवदा वेदभारती ने छात्राओं का समावर्तन संस्कार कराया। इस दौरान यहां से डिग्री हासिल करने वाली छात्राओं को समाज के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध कराया गया। वहीं यहां से दीक्षा लेने वाली छात्राओं ने भी वैदिक ज्ञान को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
'गुरुकुलीय शिक्षा की उपयोगिता' विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि नई दिल्ली के ठाकुर विक्रम सिंह ने कहा कि गुरुकुल की व्यवस्था न केवल प्राचीन है, बल्कि यह शिक्षण व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ भी है। गुरुकुल पद्धति के कारण इस महाविद्यालय की पहचान वैश्विक स्तर पर है। मुख्य वक्ता गुरुकुल-कुरुक्षेत्र हरियाणा के स्वामी संपूर्णानंद ने कहा कि गुरुकुल प्रणाली के कारण ही महाविद्यालय ने अपनी अलग पहचान बनाई है। विशिष्ट अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के तुलनात्मक धर्म दर्शन के आचार्य प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने कहा कि भारतीय शिक्षण व्यवस्था गुरुकुल प्रणाली पर ही आधारित है। इस मौके पर बीएचयू के प्रो. गोपबंधु मिश्र, डा. सुद्युम्नाचार्य, सनबीम ग्रुप के चेयरमैन दीपक मधोक, निदेशक भारती मधोक, प्रमोद कुमार मिश्र सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता पातंजलि विश्वविद्यालय (हरिद्वार) के कुलपति प्रो. महावीर प्रसाद, स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्य आचार्य नंदिता शास्त्री व धन्यवाद ज्ञापन डा. माधवी तिवारी ने किया।
दूसरे सत्र में वेदों के इतिहास या विज्ञान तथा तीसरे सत्र में वैदिक कर्मकांड, वेदाध्ययन में महिलाओं की सहभागिता विषय पर संगोष्ठी हुई। सम्मेलन में डा. हृदय रंजन शर्मा, डा. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, डा. प्रियंवदा वेदभारती, डा. कमल चंद्रनाथ योगी सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किए। संयोजन डा. श्रुतिकीर्ति वेदरत्न व धन्यवाद ज्ञापन डा. संगीता वैदिकी ने किया।
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