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    हैरान करने वाला फर्जीवाड़ा : 1998 में जिस स्कूल का छात्र था वर्ष 1993 में उसी में था अध्यापक

    मरदह ब्लाक के बरही स्थित वित्तपोषित शांति निकेतन इंटर कालेज में अध्यापक व चपरासी की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा किया गया है। 1998 में इंटरमीडिएट के नियमित छात्र की एक सितम्बर 1993 से ही वहीं सहायक अध्यापक पद नियुक्ति कैसे हो गई।

    By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Fri, 11 Jun 2021 08:20 AM (IST)
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    शांति निकेतन इंटर कालेज में अध्यापक व चपरासी की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा किया गया है।

    गाजीपुर, जेएनएन। मरदह ब्लाक के बरही स्थित वित्तपोषित शांति निकेतन इंटर कालेज में अध्यापक व चपरासी की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा किया गया है। 1998 में इंटरमीडिएट के नियमित छात्र की एक सितम्बर 1993 से ही वहीं सहायक अध्यापक पद नियुक्ति कैसे हो गई। इतना ही नहीं यहीं पर दूसरा चपरासी व सहायक अध्यापक दोनों का का करीब दस वर्षों तक वेतन भी लेता रहा। अब इसका दस्तावेज इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इधर, डीआइओएस ने भी अपनी आख्या डायरेक्टर को प्रेषित कर दी है, इससे संबंधितों में खलबली मची हुई है।

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    शांति निकेतन इंटर कालेज में प्रबंधक द्वारा वर्षों पूर्व नियुक्तियों जमकर हीलाहवाली की गई है। कोमल सिंह यादव की नियुक्ति सहायक पद पर नियुक्ति एक सितम्बर 1993 को हुई है। वह इसी विद्यालय में 1996-97 व 1997-98 में इंटरमीडिएट का छात्र रहा है। वर्ष 2000 में बीए व 2002 में समाजशास्त्र एवं शिक्षाशास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। अब ऐसे में सवाल बड़ा और अहम है कि 1998 में इंटर पास करने वाला 1993 में अध्यापक कैसे बन गया। वहीं रामध्यान सिंह यादव की 21 अगस्त 1980 को परिचारक के पद पर नियुक्ति हुई।

    1986 से 1998 तक परिचारक का वेतन भुगतान भी किया। इसी बीच इसकी एक जुलाई 1992 को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की गई। सहायक अध्यापक बनने के बाद भी 1998 तक परिचारक का वेतन कैसे दिया गया। इसी तरह कई और नियुक्ति में फर्जीवाड़े का आरोप है। अब मामला माध्यमिक शिक्षा वाराणसी के डायरेक्टर के भी संज्ञान में है। उन्होंने मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक से आख्या मांगी है।

    बोले अधिकारी - यह मामला बहुत पुराना है। नियुक्तियां भी बहुत पहले हुईं हैं। डायरेक्टर द्वारा आख्या मांगी गई थी, जिसे प्रेषित कर दिया गया है। अब आगे की जो भी कार्रवाई होगी वहीं से होगी। - ओमप्रकाश राय, डीआइओएस।