हाइड्रोजन फ्यूल सेल यात्री पोत की कार्यप्रणाली अनोखी, पर्यटकों को मिलेगा अनोखा अनुभव
वाराणसी में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने नमो घाट पर देश के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान को हरी झंडी दिखाई ...और पढ़ें

50 सीटों की क्षमता वाला यह जलयान गंगा में चलेगा, जो नेट-जीरो जलमार्गों की दिशा में एक कदम है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने गुरुवार को नमो घाट पर देश के पहले पूरी तरह से स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान के वाणिज्यिक संचालन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह जलयान भारत में समुद्री परिवेश में हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रणोदन का प्रदर्शन करने वाला पहला जलयान है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया है।
यह जलयान निम्न तापमान प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन ईंधन सेल प्रणाली पर संचालित होता है, जो संग्रहित हाइड्रोजन को बिजली में परिवर्तित करता है और उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी उत्सर्जित करता है। यह देश का पहला हाइड्रोजन चालित कैटामरान (दो नौका के बेस पर बना) जलयान है, जो जीरो उत्सर्जन और स्वच्छ प्रणोदन से चलने वाली 24 मीटर लंबी स्वदेशी नौकाओं का प्रदर्शन करता है। इस जलयान में 50 सीटों की क्षमता है।
हाइड्रोजन से चलने वाला यह यात्री जलयान गंगा में रवाना हुआ, जो मोदी सरकार के नेतृत्व में नेट-जीरो जलमार्गों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा कि यह जलयान न केवल स्वदेशी तकनीक का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करने से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि यह जल परिवहन के क्षेत्र में नई संभावनाओं को भी जन्म देगा।
इस जलयान के संचालन से भारत की जल परिवहन प्रणाली में एक नई क्रांति आने की उम्मीद जताई जा रही है। यह न केवल यात्रियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का साधन बनेगा, बल्कि यह जलमार्गों के विकास में भी सहायक सिद्ध होगा। मंत्री ने यह भी बताया कि इस प्रकार के जलयान भविष्य में अन्य जलमार्गों पर भी चलाए जाएंगे, जिससे देश के जल परिवहन क्षेत्र में एक नई दिशा मिलेगी।
इस पहल के माध्यम से भारत ने हाइड्रोजन ईंधन के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है और यह दर्शाया है कि देश स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। इस प्रकार, यह जलयान न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है।

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