ज्ञानवापी के तलाब पर लगे ताले का कपड़ा बदलने की अपील पर जिला जज का कोई आदेश नहीं
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में, जिला जज ने तालाब पर लगे ताले के ऊपर कपड़े को बदलने की अपील पर कोई आदेश नहीं दिया है। हिंदू पक्ष ने यह अपील की थी, जिसक ...और पढ़ें

अब सभी की निगाहें कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं।
विधि संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित तालाब (वुजूखाना) को सील करने के लिए लगाए गए ताले का कपड़ा बदलने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत ने कोई भी आदेश पारित करने से इंकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश व उसमें किये गये संप्रेक्षण के आलोक में जिलाधिकारी को प्रतिबंधित क्षेत्र को सुरक्षित रखे जाने हेतु आदेश पारित किया गया है तथा लंबित मुकदमों में किसी भी न्यायालय को अगली सुनवाई अथवा आदेश तक सर्वेक्षण आदि के निर्देश देने वाले आदेशों सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित न करने हेतु आदेशित किया गया है। अतः इस स्तर पर इस न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश पारित किया जाना समुचित व समीचीन प्रतीत नहीं होता है।
एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान 16 मई वर्ष 2022 में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की पुष्टि के बाद ज्ञानवापी परिसर के तालाब को सीलबंद करने के लिए ताला लगाने के बाद उस पर कपड़ा लपेटकर सीलबंद किया गया था।
बीते आठ अगस्त को राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशेष वकील राजेश मिश्रा ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान तालाब को सील करने के लिए लगाए गए ताले पर लगे कपड़े के नष्ट होने के कारण इसे बदलकर पुन: सील करने का आदेश देने को लेकर जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र पर दिया था।
इस प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति की गई थी।ज्ञानवापी स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग समेत सात मुकदमों की सुनवाई भी जिला जज की अदालत में लंबित है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी की तिथि मुकर्रर कर दी।

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