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    बांग्लादेश में हिंदुओं पर बर्बरता के खिलाफ स्‍वामी अव‍िमुक्‍तेश्‍वरानंद का आह्वान - 'स्वतंत्र "हिन्दूभूमि" की मांग का समय आ गया है'

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 05:13 PM (IST)

    वाराणसी में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि अब एक स्वतंत्र "हिन्दूभूमि" ...और पढ़ें

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    स्‍वामी अवि‍मुक्‍तेश्‍वरानंद ने सोमवार को काशी से आह्वान करते हुए कहा क‍ि स्वतंत्र "हिन्दूभूमि" की मांग का समय आ गया है। 

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही बर्बरता के खिलाफ शंकराचार्य स्‍वामी अवि‍मुक्‍तेश्‍वरानंद ने सोमवार को काशी से आह्वान करते हुए कहा क‍ि स्वतंत्र "हिन्दूभूमि" की मांग का समय आ गया है। 

    आज का समय मानवता की परीक्षा का समय है। एक ओर जहां हम आध्यात्मिक उन्नति की बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश से आ रही बर्बरतापूर्ण सूचनाएं हमारे हृदय को विदीर्ण कर रही हैं। ईश निंदा के आधारहीन आरोप में एक निर्दोष व्यक्ति, दीपचंद्र दास, को जिस प्रकार उन्मादी भीड़ द्वारा जीवित जला दिया गया, वह केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के माथे पर कलंक है। यह उद्गार वर्तमान में काशी में प्रवास कर रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने व्यक्त किए हैं।

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    कहा कि धर्म कभी भी प्रतिशोध और हिंसा का मार्ग नहीं सिखाता। हिंसा के वशीभूत होकर किया गया यह कृत्य साक्षात् आसुरी प्रवृत्ति का परिचायक है। जो लोग निहत्थे और निर्दोष को अग्नि के हवाले करते हैं, वे किसी भी धर्म के अनुयायी नहीं हो सकते; वे केवल मानवता के शत्रु हैं। प्रशासन की अक्षमता और वैश्विक समुदायों का मौन इस जघन्य अपराध में उनकी मूक सहमति जैसा प्रतीत होता है।

    उन्‍होंने कहा कि अंतिम क्षण तक अपने धर्म पर अड़े रहने वाले पुण्यात्मा दीपचंद्र के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। यद्यपि अग्नि में उनके नश्वर शरीर को जला दिया गया है, किंतु "नैनं दहति पावक:" के न्याय से उनकी आत्मा सदा अविनाशी है। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उस निर्दोष आत्मा को अपने सायुज्य में स्थान दें। साथ ही, उस परिवार के प्रति, जिस पर दुखों का यह वज्रपात हुआ है, हम अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। ईश्वर उन्हें इस पीड़ा को सहन करने का धैर्य और साहस प्रदान करें।

    आगे कहा क‍ि हम स्पष्ट आह्वान करते हैं कि सभी सभ्य समाज अब और अधिक मौन नहीं रह सकता। यह समय केवल प्रार्थना का नहीं, बल्कि न्याय के लिए हुंकार भरने का भी है। जब तक पीड़ित परिवार को न्याय और दोषियों को उनके कुकृत्य का कठोरतम दंड नहीं मिल जाता, तब तक धर्मसत्ता का यह स्वर शांत नहीं होगा। मिलजुलकर आपस में नहीं रह सकते, तो हम बांग्लादेश के हिंदुओं को बांग्लादेश में ही हिंदुस्तान से पाकिस्तान की मांग की तरह अपने लिए स्वतंत्र "हिन्दूभूमि" की मांग करने के लिए प्रेरित करना चाहेंगे। "शुभस्ते पंथान: संतु" - न्याय का मार्ग ही एकमात्र कल्याणकारी मार्ग है।

    बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही बर्बरता के खिलाफ शंकराचार्य जी का यह आह्वान न केवल एक धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता के प्रति एक गहरी चिंता भी दर्शाता है। जब तक इस प्रकार की घटनाओं का अंत नहीं होता, तब तक हमें एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। यह समय केवल चुप रहने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर न्याय की मांग करने का है। समझना होगा कि मानवता की रक्षा के लिए हमें एकजुट होकर खड़ा होना होगा।