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    मोटे अनाजों की प्राकृतिक खेती से सुमन देवी ने बदली तकदीर, बनीं हजारों महिलाओं की प्रेरणा

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 04:18 PM (IST)

    वाराणसी की सुमन देवी कभी एक छोटे किसान परिवार की बहू आज कृषि सखी के नाम से जानी जाती हैं। योगी सरकार की मदद से उन्होंने 2019 में मोटे अनाजों की प्राकृतिक खेती शुरू की और सालाना तीन लाख रुपये से अधिक कमा रही हैं। उनकी सफलता से प्रेरित होकर 5000 से अधिक महिलाएं उनसे जुड़ी हैं।

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    मोटे अनाजों की प्राकृतिक खेती से संवर रही सुमन देवी की जिंदगी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज‍िले में कभी छोटी जोत की किसान परिवार की बहू रही सुमन देवी आज पूरे वाराणसी में “कृषि सखी” के नाम से जानी जाती हैं। मिशन शक्ति के जरिए प्रदेश की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी सुमन देवी नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की नई कहानी लिख रही हैं।

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    वाराणसी जिले के सेवापुरी ब्लाक के मडैया गांव की रहने वाली सुमन ने योगी सरकार की मदद से न सिर्फ अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दी है, बल्कि हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नई राह दिखाई है। योगी सरकार से मोटे अनाजों के बीज और तकनीकी सहयोग मिलने के बाद सुमन ने 2019 में प्राकृतिक खेती का रास्ता चुना और आज उनकी पहचान पूरे प्रदेश में मिसाल बन गई है।

    सुमन देवी ने अपने ढाई एकड़ खेत में मक्का, बाजरा और राई जैसे मोटे अनाज की खेती प्राकृतिक तरीके से शुरू की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बीज और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रही है। सुमन देवी ने इस सहयोग का लाभ उठाते हुए खेती का तरीका बदला और अब हर सीजन में तीन लाख रुपये से अधिक का फायदा कमा रही हैं। वह गर्व से बताती हैं कि योगी सरकार की सहायता ने उनकी जिंदगी बदल दी है।

    सुमन देवी की सफलता से प्रेरित होकर 5000 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके साथ जुड़ गईं। अब ये महिलाएं अपने अनाज और सब्जियां सुमन के माध्यम से बेचती हैं। पैकेजिंग, प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने का काम सामूहिक रूप से किया जाता है। इस मॉडल ने ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता और सामूहिक उद्यमिता का रास्ता खोला है।

    सुमन ने अपने गांव में चक्की यूनिट स्थापित की है, जहां मोटे अनाजों की पिसाई कर मल्टीग्रेन आटा तैयार किया जाता है। यह आटा ग्राहकों की मांग के अनुसार खुला और पैक दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है। स्थानीय बाजार में यह उत्पाद तुरंत बिक जाता है। सुमन कहती हैं कि उनके पास ग्राहकों की बड़ी संख्या है और उत्पाद की मांग में वृद्धि हुई है।

    सुमन देवी केवल मोटे अनाजों तक सीमित नहीं हैं। वह गो-पालन भी करती हैं, जिससे दूध और दुग्ध उत्पादों से आय का अतिरिक्त साधन जुड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ मिलकर प्राकृतिक सब्जी उत्पादन भी शुरू किया है। इस मिश्रित मॉडल से न सिर्फ नियमित आय हो रही है, बल्कि ग्रामीण समाज को “स्वस्थ भोजन, स्वच्छ खेती” का संदेश भी मिल रहा है।

    सुमन देवी के परिवार में उनकी सास, पति और दो बच्चे रहते हैं। उनके पति धर्मेंद्र सिंह पंचायत भवन में कर्मचारी हैं, जो खेती में भी मदद करते हैं। सुमन कहती हैं कि "योगी सरकार की योजनाओं ने मुझे हिम्मत दी। आज मैं न सिर्फ अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर रही हूं, बल्कि गांव की हजारों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हूं।”