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    गीता जयंतीः 1785 में पहली बार गीता का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद

    ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी चाल्र्स विलकिंस ने पहली बार 1785 में गीता का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।

    By Nawal MishraEdited By: Updated: Wed, 29 Nov 2017 08:46 PM (IST)
    गीता जयंतीः 1785 में पहली बार गीता का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद

    वाराणसी (शाश्वत मिश्रा)। दुनिया में भारत जिन बातों के लिए जाना जाता है उनमें गीता भी एक है और इसे पूरी दुनिया तक फैलाने में बनारस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि बनारस न होता तो दुनिया को गीता का ज्ञान नहीं मिल पाता। ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी चाल्र्स विलकिंस ने पहली बार 1785 में गीता का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। संस्कृत से किसी भी यूरोपीय भाषा में होने वाला यह पहला अनुवाद था। इसके लिए उन्हें कोलकाता के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स का भी खूब साथ मिला। हेस्टिंग्स ने ही विलकिंस को बनारस जाकर काशीनाथ भट्टाचार्या से संस्कृत सीखने और गीता के अनुवाद के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद विलकिंस बनारस आए और पूरे मनोयोग से संस्कृत सीखने के बाद गीता का अनुवाद किया। हालांकि पहले उनका उद्देश्य पूरी महाभारत का अनुवाद करने का था।

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    चार्ल्स विलकिंस 

    विलकिंस 1770 में कोलकाता आए थे। उनकी नियुक्ति जूनियर क्लर्क के रूप में हुई थी। वो इंग्लैंड के समरसेट के एक संपन्न परिवार से थे। भारतीय भाषाओं के अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने काफी काम किया था। आगे चलकर वो कोलकाता में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे। बनारस में उन्होंने शिवाला घाट के पास अपना निवास बनाया था। 1774 के आसपास उन्होंने हेस्टिंग्स से आग्रह किया कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों को आधार बनाकर कृपया उन्हें प्रशासनिक कामों से मुक्ति दी जाए ताकि वो बनारस जा कर संस्कृत का अध्ययन कर सकें। हेस्टिंग्स कोलकाता में पहले ही भारतीय भाषाओं के प्रति विलकिंस के अनुराग से परिचित थे। उनके भी दिमाग में यह योजना थी। उन्होंने तुरंत इस प्रस्ताव को ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड के सामने रखा और उसे पास कराया।

    काशीनाथ भट्टाचार्या 

    अंग्रेजों के कागजात में काशीनाथ का नाम प्रमुखता से कहीं नहीं मिलता लेकिन थोड़ा खंगालने पर कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जहां काशीनाथ का जिक्र है। विलकिंस के बनारस आने से पहले ही काशीनाथ का नाम कोलकाता में प्रसिद्ध हो चुका था। एक स्थान पर काशीनाथ ने खुद लिखा है कि विलकिंस से बनारस में उनकी मुलाकात हुई। विलकिंस ने कई पंडितों को उनके पास भेजकर शास्त्र और संस्कृत सीखने की इच्छा जताई थी जिसे काशीनाथ ने पूरा किया। प्रख्यात विद्वान विलियम जोंस ने भी कई स्थानों पर काशीनाथ का जिक्र बड़े सम्मान से किया है और काशीनाथ को विलकिंस पंडित बताया है। किसी भी यूरोपीय भाषा में संस्कृत के पहले व्याकरण का श्रेय भी विलकिंस को जाता है। इसमें भी काशीनाथ ने उनकी काफी सहायता की थी। 

    वारेन हेस्टिंग्स 

    बिना हेस्टिंग्स के प्रयासों के गीता का अंग्रेजी में यह पहला अनुवाद अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाता। अक्टूबर 1784 में विलकिंस ने हेस्टिंग्स को गीता का अनुवाद प्रदान किया था। अपनी पत्नी को लिखे एक पत्र में हेस्टिंग्स ने लिखा था कि आज मेरे मित्र विलकिंस ने मुझे एक नायाब तोहफा दिया है और मैं उसे जल्द ही जनता को समर्पित करने वाला हूं। दिसंबर 1784 को हेस्टिंग्स ने इस अनुवाद को ईस्ट इंडिया कंपनी की बोर्ड के सामने पेश किया और पूरा जोर लगा दिया कि कंपनी इसे छापे। उन्होंने कंपनी को इसे दूरगामी फायदे भी बताए। इसके बाद 1785 में यह रचना छपकर सबके सामने आई। 

     

    अन्य भाषाओं के अनुवाद 

    अंग्रेजी अनुवाद के दो वर्षों के बाद विलकिंस की इसी रचना को आधार बनाकर रशियन और फ्रेंच भाषा में गीता का अनुवाद किया गया। इसके कुछ और वर्षों बाद जर्मन भाषा में भी गीता का अनुवाद किया गया। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस दिन को गीता जयंती भी कहा जाता है।