जलवायु और मिट्टी के हिसाब से बोइये धान तभी मिलेगी उन्नत फसल की बेहतर पैदावार
धान खरीफ की मुख्य फसल है। इसकी खेती की शुरूआत नर्सरी से होती है। इसलिए बीजों का अच्छा होना जरुरी है। बुआई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए। बीज हमेशा आपके क्षेत्र की जलवायु व मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए।

बलिया, जेएनएन। धान खरीफ की मुख्य फसल है। इसकी खेती की शुरूआत नर्सरी से होती है। इसलिए बीजों का अच्छा होना जरुरी है। बुआई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए। बीज हमेशा आपके क्षेत्र की जलवायु व मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए। मई की शुरूआत से किसानों को खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, ताकि मानसून आते ही धान की रोपाई कर दें। नर्सरी डालने का समय यदि मई के अंतिम सप्ताह में नर्सरी नहीं डाली हो तो जून के प्रथम पखवारे तक नर्सरी अवश्य डाल दें। सुगंधित किस्मों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालनी चाहिए।
पूर्वांचल के लिए विकसित किस्में
असिंचित दशा नरेन्द्र-118, नरेन्द्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट, नरेन्द्र लालमनी 90-110 दिन में पक कर तैयार, सीधी बोआई, 15 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह।
धान के बीज व उपज
-सुगंधित किस्में टा-3,बासमती-370, पूसा बासमती -1, नरेन्द्र सुगंधा,. 130-140 दिन मे पक कर तैयार, उपज क्षमता 30-45 क्विंटल है।
ऐसे तैयार करें नर्सरी
नर्सरी हेतु क्षेत्रफल एवं क्यारियां एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई के लिए 800-1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की आवश्यकता होती है। पौधे तैयार करने के लिये 1.25 मीटर चौड़ी व 8 मीटर लंबी क्यारियां बना लेते है। प्रति क्यारी (10 वर्ग मीटर) में 225 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 50 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाते है।
बीज अंकुरित कराना जरूरी
नर्सरी डालने से पहले स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत, ट्रेट्रासाईक्लीन हाईड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 4 ग्राम मात्रा 100 लीटर पानी में मिला कर बीज को घोल मे रात भर भिगों दें। दूसरे दिन बीज को छानकर उपचारित बीज को गीले बोरे में लपेटकर ठंडे कमरे में रखें। बोरे पर पानी का छींटा देते रहें। 36-48 घंटे बाद बोरे को खोलें। बीज अंकुरित होकर नर्सरी डालने के लिए तैयार हो जाते हैं। पहले से बनी क्यारियों में सायंकाल पानी भर कर अंकुरित बीज की बुआई करें। सिंचाई करते रहे। 21- 25 दिन में रोपने योग्य नर्सरी तैयार हो जाती है।
बोले कृषि अधिकारी
अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से धान की किस्मों को विकसित किया जाता है, क्योंकि हर जगह की मिट्टी, वातावरण अलग तरह का होता है। अपने क्षेत्र के लिए विकसित धान की किस्मों का चयन करें, तभी अच्छी पैदावार मिलेगी।
-प्रो. रवि प्रकाश मौर्या, कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव।
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