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    रामनगर की रामलीला में प्रभु श्री राम ने धनुष तोड़ा और लक्ष्मण ने परशुराम का दम्भ

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 11:09 AM (IST)

    रामनगर की रामलीला में श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा जिससे जनकपुर में हर्षोल्लास छा गया। लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को शांत किया। एक साधु को श्रीराम ने धनुष यज्ञ के समय दर्शन दिए। तोप के संकेत से धनुष टूटने का दृश्य रोमांचक था। पूरी रामलीला में केवल धनुष यज्ञ के दौरान ही विद्युत प्रकाश का उपयोग होता है।

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    राम ने धनुष तोड़ा और लक्ष्मण ने परशुराम का दम्भ।

    जागरण संवाददाता, (रामनगर) वाराणसी। श्रीराम शिव का धनुष तोड़ पाएंगे या नहीं सब संशय में थे। सारा जनकपुर उनके रंग- रूप पर मोहित था, लेकिन असल पुरुषार्थ की अभी परीक्षा होनी थी जब एक से बढ़कर एक राजा यहां तक कि रावण भी धनुष को हिला नहीं सका तो राजा जनक भी घबरा गए। सबका विचलित होना स्वाभाविक था, लेकिन श्रीराम के रूप में तो वहां खुद प्रभु थे तो छूते ही धनुष टूट गया फिर तो चारों ओर श्रीराम की जयकार के अलावा और कुछ ना सुनने को बचा और ना देखने को।

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    इसके बाद रामनगर की रामलीला में धनुष यज्ञ और परशुराम संवाद की लीला संपन्न हुई। इस दौरान भ्राता लक्ष्मण ने क्रोधी महर्षि परशुराम के दंभ को भी चकनाचूर किया। उनके संवादों को सुन श्रद्धालु दश्रक रोमांचित हो उठे और जय श्रीराम का जयकारा गूंज उठा। पूरी लीला के दौरान बाल कांड के 238.9 से 289 दोहों तक का सस्वर पाठ हुआ। राजा जनक विश्वामित्र के परामर्श पर महाराज दशरथ को यह प्रसन्नता भरा समाचार देने और बुलाने को दूत भेजते हैं। पूरे नगर में विवाहोत्सव की तैयारियां आरंभ हो जाती हैं। आरती के साथ लीला विराम लेती है।

    ....और वह साधु

    रामनगर की रामलीला के बारे में कई ऐसी कथाएं हैं जिनसे रामलीला की प्रतिष्ठा स्वयं स्थापित हो जाती है। धनुष यज्ञ के बारे में ऐसी ही एक कथा है। अयोध्या में एक साधु श्रीराम दर्शन के निमित्त तपस्यारत था। एक दिन भगवान राम ने उनसे सपने में कहा कि हमारा दर्शन करना हो तो रामनगर चले आना। हम तुम्हें धनुष यज्ञ की लीला में दर्शन देंगे। साधु अयोध्या से रामनगर के लिए चल पड़ा। धनुष यज्ञ की लीला के दिन रामनगर पहुंचा, लेकिन देर हो गई। भगवान राम धनुष उठाए खड़े थे। धनुष टूटने के समय चौपाई जैसे ही शुरू हुई तोपची ने तोप छोड़ दिया, लेकिन रामजी धनुष लेकर खड़े रहे। सब हैरान कि हुआ क्या तभी भीड़ को चीरता हांफता साधु श्रीराम के सामने आकर खड़ा हो गया। श्रीराम बने पात्र ने साधु को देखा और पूछा कि तुम आ गए और धनुष तोड़ दिया। आश्चर्य कि साधु उसके बाद न जाने कहां लुप्त हो गया।

    मशाल का संकेत हाेते ही पीएसी छावनी में दग जाती है तोप

    एक पल को लगा जैसे समय ठहर गया। पूरा जनकपुर खचाखच भरा था। सबकी दृष्टि उस रंगभूमि पर थी जहां श्रीराम शिवधनुष लिए खड़े थे। रामायणी चौपाई पढ़ रहे थे, ऊपर मशाल लिए मशालची खड़ा था। उधर 36वीं वाहिनी परिसर में तोप में बारूद भरकर तोपची मशाल लिए तैयार। सभी धनुष टूटता देखने को अधीर। एक क्षण के लिए श्रीराम का हाथ हिलता है। मशालची मशाल से संकेत देता है, उधर तोपची तोप में मशाल डाल देता है, भयंकर आवाज होती है और धनुष टूट जाता है। अनुमान है कि 50 हजार से अधिक लोग यह रोमांचक दृश्य देखने के लिए पहुंचे थे। रापजरिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह जनकपुर मंदिर के सामने चबूतरे पर बैठे थे।

    तीन मिनट का अपवाद है धनुष यज्ञ

    धनुष यज्ञ एक मायने में अपवाद है। यहां पूरी रामलीला में कहीं भी विद्युत प्रकाश का उपयोग नहीं होता। मात्र धनुष यज्ञ की लीला में तीन मिनट के लिए एक 80 वाट की एलईडी लाइट जलाई जाती है जब श्रीराम रंगभूमि में पहुंचकर शिव धनुष उठाते हैं। धनुष जैसे ही टूटता है, लाइट बुझ जाती है। शेष पूरी लीला अपने परंपरागत पेट्रोमैक्स के प्रकाश में होती है।