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    Varanasi News: जयंती योग में मनेगा कान्हा का जन्मोत्सव, वैष्णव संप्रदाय सात सितम्बर को मनाएगा जन्माष्टमी पर्व

    Shri Krishna Janmashtami 2023 मंदिरों में तैयारी चल रही हैं। तारणहार का जन्मोत्सव तीन दिन तक चलेगा। देश-विदेश से श्रद्धालु जुटेंगे। कुछ स्थानों पर सूर्य उदय में अष्टमी होने पर जन्मोत्सव मनाया जाएगा। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्माष्टमी के लिए तैयारियों का दौर चल रहा है। यहां भागवत भवन में भगवान श्रीकृष्ण की एक झलक के लिए लोग देश के कोने कोने से पहुंचते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 03 Sep 2023 01:38 PM (IST)
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    उदय व्यापिनी रोहिणी मतावलंबी वैष्णवजन सात सितंबर को मनाएंगे पर्व

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का जन्माष्टमी के रूप में मान है। इस तिथि में सनातन धर्मावलंबी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। अबकी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर (बुधवार) को मनाई जाएगी।

    वैष्णव संप्रदाय सात सितम्बर को मनाएगा

    वैष्णव संप्रदाय के उदय व्यापिनी रोहिणी मतावलंबी वैष्णव जन सात सितंबर को व्रत पर्व मनाएंगे। अबकी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जयंती नामक विशिष्ट योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष व काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी छह सितंबर की शाम 7.58 बजे लग रही जो सात सितंबर की शाम 7.52 बजे तक रहेगी।

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    रोहिणी नक्षत्र का आरंभ छह सितंबर को दोपहर 2.39 बजे हो रहा जो सात सितंबर को दोपहर 3.07 बजे तक रहेगी। ऐसे में छह सितंबर की मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से छह सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

    जयंती विशिष्ट फलदायक

    श्रीकृष्ण जन्मोत्सव जन्माष्टमी और जयंती के भेद से दो प्रकार की होती है। इसमें भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी के नाम से और अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती नामक योग का निर्माण करती है। यह जयंती व्रत अन्य व्रत की अपेक्षा विशिष्ट फल प्रदान करने वाली होती है। विष्णु रहस्य में कहा गया है कि ‘अष्टमी कृष्ण पक्षस्य रोहिणीऋक्षसंयुता भवेत् प्रौष्ठपदे मासी जयंती नाम सास्मृता...’।

    आशय यह कि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती होती है। यह जयंती सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली होती है।