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    Shri Kashi Vishwanath Temple वाराणसी में बाबा ने चखा लंगड़ा आम का स्‍वाद

    Shri Kashi Vishwanath Temple वाराणसी में बाबा को प्रसन्‍न करने के लिए भक्‍तों ने लंगड़ा आम का विशेष भोग चढ़ाया और कोरोना से मुक्ति की कामना की।

    By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 17 Jul 2020 05:14 PM (IST)
    Shri Kashi Vishwanath Temple वाराणसी में बाबा ने चखा लंगड़ा आम का स्‍वाद

    वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर में भक्‍तों ने गुरुवार को बनारसी लंगड़ा आम का भोग चढ़ाया और कोरोना से मुक्ति की कामना की गई। इस दौरान ऊं नम: शिवाय के उद्घोष से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। चूंकि इस बार सावन में शिव भक्‍तों को कोरोना के भय के चलते कई मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया गया, यहां तक कि बाबा दरबार में भी बहुत कम भक्‍त आए, इसलिए इस वैश्विक महामारी के अंत के लिए बाबा को यह भोग अर्पित किया गया है। इस साल का सावन जरूर फीका रहा है और लेकिन महादेव से भक्तों की दूरी कम नहीं हुई। मंदिर के अर्चकों ने काशीपुराधिपति के अरघा को बनारसी लंगड़ा आम से पूरी तरह भर दिया और उन्हें भोग-प्रसाद अर्पित किया।

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    वहीं कोरोना संकट के कारण प्रतिबंधों को देखते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर सप्ताह में दो ही दिन बंद रहेगा लेकिन श्रद्धालु बाबा की मंगला आरती से तीन दिन वंचित रहेंगे। मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार की रात दस बजे बंद होंगे तो सोमवार को सुबह पांच बजे खुलेंगे। ऐसे में शनिवार, रविवार और सबसे खास सावन माह में सोमवार को भी बाबा का मंगला आरती लोगों को नहीं मिल पाएगी। इस बार पहले ही प्रतिबंध में ऐसा हो चुका है। यह सब कोरोना संक्रमण को ध्‍यान में रखकर किया गया है।

    दो दिन की बंदी में भी अर्चकों द्वारा होती रहेगी पूजा-भोग आरती

    सोमवार को सुबह पांच बजे मंदिर खुलेगा जरूर लेकिन मंगला आरती के लिए कोई टिकट नहीं काटा गया। इससे भक्तों में निराशा रही। हालांकि सावन के पहले सोमवार को भी मंगला आरती में श्रद्धालुओं की संख्या महज 50 ही रही। हर बार सावन में सोमवार की मंगला आरती में यह संख्या 400 तक रहा करती थी। सावन के महीने में भगवान शिव की आस्था के केंद्र वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में सावन पर्यंत मंगला आरती की झांकी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी लेकिन कोरोना ने इस बार फीका कर दिया है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरा सावन मानो सूना ही रह जाएगा। मंदिर प्रशासन के अनुसार प्रतिबंधों के कारण दो दिन की बंदी में भी मंदिर के अर्चकों द्वारा परंपरा अनुसार विधि-विधान से पूजा-भोग आरती होती रहेगी।