साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात, 13 घंटे छाया रहता अंधेरा, जानें इस दिन की विशेषता
आज साल का सबसे छोटा दिन होने के बाद से दिन बढ़ने लगेगा। 21 दिसंबर को 13 घंटे तक अंधेरा छाया रहा। इस दिन को विंटर सॉल्सटिस भी कहा जाता है, जब सूर्य क ...और पढ़ें

21-22 दिसंबर की रात सबसे लंबी रात मानी जाती है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। 21 दिसंबर का दिन साल भर का सबसे खास दिन माना जाता है। दरअसल धरती पर पूरे देश में आज साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात दर्ज की जाती है। खगोल विज्ञान की भाषा में इस दिन को विंटर सोल्स्टिस डे (Winter Solstice Day) कहा जाता है। यह दिन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष स्थिति के कारण विशेष महत्व रखता है।
भारतीय समय के अनुसार रात आठ बजकर 33 मिनट पर सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत होंगी। इस खगोलीय घटना के साथ ही सूर्य की उत्तरायण यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो जाती है, जिसे भारतीय संस्कृति और विज्ञान दोनों दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 21 दिसंबर के बाद 22 दिसंबर से दिन कुछ बड़ा होने लगत है। इस दिन सुबह होने और रात होने का समय सबसे कम होता है।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, विंटर सोल्स्टिस वह स्थिति होती है जब सूर्य अपनी सबसे दक्षिणी स्थिति पर पहुंचता है। इस दौरान उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की रोशनी सबसे कम समय के लिए दिखाई देती है, जिसके कारण दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है। आज के बाद धीरे-धीरे दिन की अवधि बढ़ने लगेगी और रातें छोटी होने लगेंगी। हालांकि इस बदलाव को प्रत्यक्ष रूप से महसूस करने में कुछ दिन लग सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक रूप से आज से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
इस दिन का विशेष महत्व भारतीय पंचांग और परंपराओं में भी है। सूर्य के उत्तरायण होने को शुभ माना जाता है और यही कारण है कि आने वाले समय में मकर संक्रांति जैसे पर्व मनाए जाते हैं। उत्तरायण को सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और जीवन में प्रगति का प्रतीक माना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई स्थिति में सूर्य की परिक्रमा करती है, जिससे मौसम और दिन-रात की अवधि में परिवर्तन होता है। विंटर सोल्स्टिस इसी प्राकृतिक प्रक्रिया का परिणाम माना जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस दिन के बाद सूर्य की किरणें धीरे-धीरे उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ेंगी, जिससे तापमान में भी क्रमशः बदलाव देखने को मिलेगा। ठंड का असर कुछ समय तक बना रहेगा, लेकिन दिन बड़े होने से सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलेगा। इससे कृषि, मौसम और मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विंटर सोल्स्टिस डे का यह अद्वितीय नजारा हर साल केवल एक बार देखने को मिलता है। यह दिन न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में भी नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न संस्कृतियों में विशेष पर्व और उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जो इस प्राकृतिक घटना के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं।
यह दिन न केवल खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में भी एक नई शुरुआत का प्रतीक है। जैसे-जैसे दिन बढ़ेंगे, हम सभी को उम्मीद है कि जीवन में भी नई रोशनी और सकारात्मकता का संचार होगा। विंटर सोल्स्टिस डे का यह अद्भुत अनुभव हमें यह याद दिलाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है। दिन की विशेषता और महत्व को समझते हुए, हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, जो हमें आगे बढ़ने और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करता है।

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